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Showing posts from May, 2021

शासक और इतिवृत्त :

  प्रश्न : कोई दो विदेशी यात्रियों के नाम लिखें जो मुगल सम्राट जहाँगीर के दबार में आये ? - उत्तर : कैप्टन हॉकिन्स एवं पॉल कैनिंग। प्रश्न : उर्दू का जन्म किन दो भाषाओं के सम्पर्क से हुआ ? उत्तर : फारसी और हिन्दवी। प्रश्न : अकबर ने कब और किस नये धर्म को शुरू किया था ? उत्तर : अकबर ने  582  ई. में  ' दीन-ए-इलाही '  नामक नये धर्म का प्रतिपादन किया। इसमें प्राय: सभी धर्मों के सारतत्त्व लिये गये थे। ! प्रश्न : किसने और कब तीर्थ यात्रा कर को समाप्त कर दिया ? उत्तर : अकबर ने  563  ई. में तीर्थ यात्रा कर को समाप्त॑ कर दिया। प्रश्न: जजिया कर कया था ?  इसे किस मुगल शासक ने और कब बन्द कर दिया ? उत्तर : मुगल साम्राज्य में गैर-मुस्लिम जनता (जिम्मी) द्वारा बसूले जाने वाले कर को  “' जजिया कर कहा जाता था। इसे अकबर ने  1 564  ई. में बन्द कर दिया। प्रश्न: अकबर के दरबार के चार नबरत्नों के नाम लिखिए। उत्तर : अबुल फजल ,  बीरबल ,  टोडरमल ,  भगवानदास ,  मानसिंह ,  तानसेन आदि। एक शब्द मे उतर दे- 1.    मुगलकालीन चित्रकला कि...

अकबर के काल में व्यापार

  प्रश्न : अकबर के काल में व्यापार के विकास के प्रमुख कारण कया थे ? अथवा , मुगलकाल में उद्योग और व्यापार के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। उत्तर : ( 1 ) अकबर के काल में मुगल साम्राज्य स्थायित्व ले चुका था और परिस्थितियाँ व्यापार के विकास के लिए अनुकूल थीं। अच्छी कृषि व्यवस्था के कारण आम लोगों की क्रय-शक्ति अच्छी थी कह ( 2) अकबर एवं अन्य मुगल-सम्राटों ने व्यापार को काफी प्रोत्साहन दिया था। व्यापार देश के भीतर और देश के बाहर दोनों जगह होता था। सूती कपड़े , नमक , मिर्च , साधारण मसाले , नील , अफीम , रेशमी - कपड़े , लाह , हींग , दवाइयाँ इत्यादि भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में प्रमुख थी। ( 3 ) अनेक उद्योग-धंघों का विकास हुआ। सबसे बड़ा व्यवसाय कपड़ों का था। यह प्राय: देश के सभी भागों में व्यापक रूप से फैला हुआ था। रेशम और ऊन के उद्योग को शाही प्रश्नय प्राप्त था। बंगाल वाराणसी और कश्मीर रेशम्त उद्योग के लिए विख्यात थे। ऊनी कपड़े के लिए अमृतसर , लाहौर तथा कश्मीर प्रसिद्ध थे। ( 4) इनके अतिरिक्त अन्य उद्योग-धंघे भी प्रचलित थे। दैनिक जीवन के उपभोग की रबी प्र ...

मुगल प्रांतीय प्रशासन के मुख्य अभिलक्षणों

  प्रश्न : मुगल प्रांतीय प्रशासन के मुख्य अभिलक्षणों ( विशेषताओं) कि चर्चा किजीय | केन्द्र किस तरह से प्रान्तों पर नियंत्रण रखता था ? उत्तर : (1) शासन की सुविधा एवं राजस्व वसूली में सुविधा की दृष्टि से मुगल साम्राज्य सूबों में ( प्रांतीं) विभाजित था। मुगलों का प्रान्तीय शासन केंन्द्रीय शासन का छोटा रूप कहा जा सकता हे। अकबर ने एक निश्चित प्रणाली के अंतर्गत सम्पूर्ण साम्राज्य को 2' सूबों (प्रांतों) में विभक्त किया। ( 2 ) सूबे के प्रधान को सिपहसालार और बाद के बादशाहों के काल में सूबेदार अथवा नाजिम कहा जाता था। एक उच्च मनसबदार होता था। प्रान्तीय शासकों को बहुधा जागीर के रूप में बेतन दिया जाता था। सूबेदांर का मुख्य कार्य प्रान्तों में शान्ति स्थापित करना , सम्राट की आज्ञाओं का पालन करवाना तथा रांज करों की वसूली में सहायता देना .था। सम्राट की तरह प्रान्त में न्‍्याय कार्य भी उसको करना पड़ता था। सम्राट को आवश्यकता पड़ने पर वह सैनिक सहायता देता था। ( 3) सूबेदार के प्रधान सहायक दीवान , बख्सी , सद्र , काजी , कोतवाल , वाकयानविस तथा कुछ प्रान्तों में दरोगा-ए-तोपखाना और मीर...

मनसबदारी

  प्रशन : मनसबदारी व्यवस्था क्या थी ? उत्तर : मनसबदारी व्यवस्था : (i) मनसबदारी व्यवस्था मुगल प्रशासन की एक प्रमुख विशेषता थी। (ii) मनसबदार मुगल प्रशासनिक व्यवस्था के शीर्ष पर एक सेनिक-नौकरशाही तंत्र था। (iii ) मनसबदार पर , राज्य के सैनिक एवं नागरिक मामलों , दोनों की जिम्मेवारी थी। मनसबदारी व्यवस्था में सैनिक और असैनिक सेवाओं में कोई अन्तर नहीं था। काजी एबं सदर को छोड़कर प्राय: सभी विभाग के कर्मचारियों को सैनिक सेवाओं के लिए तैयार रहना पड़ता था। ( iv ) कुछ मनसबदारों को नकदी भुगतान किया जाता था , जबकि उनमें से अधिकतर को साम्राज्य के अलग-अलग हिस्सों में राजस्व के आबंटन द्वारा भुगतान किया जाता था। ( v ) समय-समय पर उनका तबादला भी किया जाता था। मनसबदार का पद पैतृक नहीं था। मनसबदारों की मृत्यु के पश्चात्‌ उनकी सारी सम्पत्ति सरकार की हो जाती थी। प्रश्न : मनसबदारी प्रणाली के गुण-दोषों की विवेचना करें ? उत्तर : मनसबदारी प्रणाली के गुण- ( 1 ) सैनिक एवं असैनिक सेवाओं का आधार : मनसबदारी व्यवस्था के कारण पूरे मुगल साम्राज्य में सैनिक एवं असैनिक सेवाओं का सुदृढ़ आधार बन...