अकबर के काल में व्यापार

 

प्रश्न : अकबर के काल में व्यापार के विकास के प्रमुख कारण कया थे?

अथवा, मुगलकाल में उद्योग और व्यापार के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर : (1) अकबर के काल में मुगल साम्राज्य स्थायित्व ले चुका था और परिस्थितियाँ व्यापार

के विकास के लिए अनुकूल थीं। अच्छी कृषि व्यवस्था के कारण आम लोगों की क्रय-शक्ति अच्छी

थी कह

(2) अकबर एवं अन्य मुगल-सम्राटों ने व्यापार को काफी प्रोत्साहन दिया था। व्यापार देश के भीतर

और देश के बाहर दोनों जगह होता था। सूती कपड़े, नमक, मिर्च, साधारण मसाले, नील, अफीम, रेशमी - कपड़े, लाह, हींग, दवाइयाँ इत्यादि भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में प्रमुख थी।

(3) अनेक उद्योग-धंघों का विकास हुआ। सबसे बड़ा व्यवसाय कपड़ों का था। यह प्राय: देश के

सभी भागों में व्यापक रूप से फैला हुआ था। रेशम और ऊन के उद्योग को शाही प्रश्नय प्राप्त था। बंगाल

वाराणसी और कश्मीर रेशम्त उद्योग के लिए विख्यात थे। ऊनी कपड़े के लिए अमृतसर, लाहौर तथा

कश्मीर प्रसिद्ध थे।

(4) इनके अतिरिक्त अन्य उद्योग-धंघे भी प्रचलित थे। दैनिक जीवन के उपभोग की रबी प्र

मात्रा में तैयार की जाती थीं। सियालकोट और कश्मीर में कागज बनाये जाते थे। पंजाब और गुज

. विभिन प्रकार के हथियार बनते थे।

(5) नये-नये देशों की खोज एवं नयी दुनिया (अमेरिका) के खुलने से यूरोप के साथ एशिया के

विशेषकर भारत के विदेशी व्यापार में काफी विस्तार हुआ। लगातार बढ़ते व्यापार के कारण भारत को

अपने विभिन्‍न वस्तुओं के निर्यात के लिए भुगतान के रूप में भारी मात्रा में चाँदी प्राप्त हुई।

प्रशन : मुगल काल में व्यापारिक विकास का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा था?

उत्तर ; (1) एशिया के बड़े साम्राज्यों मुगल, मिंग (चीन), सफाबी (ईरान) और ऑटोमन तुर्क

- (तुर्क) हलक शक्ति एवं स्थिरता ने चीन से लेकर भूमध्य सागर तक स्थल व्यापार को काफी

प्रोत्साहित किया।

(2) नये-नये देशों की खोज एवं नयी दुनिया (अमेरिका) के खुलने से यूरोप के साथ

विशेषकर भारब्र के विदेशी व्यापार में काफी विस्तार हुआ। कै है य एशिया

(3) लगातार बढ़ते व्यापार के कारण भारत को अपने विभिन्‍न ओं दे

के रूप में भारी मात्रा में चाँदी प्राप्त हुई। वस्तुओं के निर्यात के लिए भुगतान

(4) यह भारत के लिए काफी लाभप्रद सिद्ध हुआ क्योंकि भारत चाँदी !

पर्याप्त नहीं थे। परिणामस्वरूप 16वीं से 18वीं सदी के मध्य भारत मे धातु मुद्रा विशेषकर चाँदी के रुपयों कि उपलब्धता मे अच्छी स्थिरता बनी रही |

(5) इसके साथ ही एक ओर तो अर्थव्यवस्था में म॒द्रा सं सिक्कों विस्तार हुआ दूसरी ओर मुगल राज्य को नकदी कर वसूलने मे आसानी हुई।

(6) इटली के एक यात्री जोवान्नी कारेरी के विवरण से ज्ञात होता है कि किस प्रकार विश्व के अनेक भागों से काफी मात्रा में चाँदी भारत पहुँचती थी और 17वीं सदी के भारत मे बड़ी अदभुत मात्रा में नगद  और वस्तुओं का लेन-देन हो रहा था।

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