आइन-ए-अकबरी के अनुसार अभिजात्य वर्ग की विशेषताओं का वर्णन करें

 प्रश्न : आइन-ए-अकबरी के अनुसार अभिजात्य वर्ग की विशेषताओं का वर्णन करें।

अथवा, मुगल अभिजात वर्ग के गठन, स्वरूप और उसकी भूमिका की विवेचना करें।

उत्तर : मुगलों का शाही संगठन प्रभावशाली ढंग से कार्य करने में सक्षम था। इसका एक महत्त्वपूर्ण

स्तम्भ अधिकारियों का दल था जिसे इतिहासकार अभिजात वर्ग का नाम देते हैं।

 

इस वर्ग की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं -

 

1) विभिन्‍न नृजातीय और धार्मिक समूहों से भर्ती : अभिजात वर्ग में विभिन्‍न नृजातीय और धार्मिक समूहों से भर्ती की जाती थी जैसे इसमें तूरानी, ईरानी, राजपूत, भारतीय मुसलमान शामिल थे। यह

प्रयत्न होता था कि कोई भी इतना बड़ा न हो कि राज्य की सत्ता को चुनौती दे सके। मुगलकाल में इस वर्ग को गुलदस्ते के रूप में माना जाता था। अंबेर का राजा भारमल कछवाहा और टोडरमल प्रसिद्ध भारतीय अभिजात वर्ग के सदस्य थे। जहाँगीर के समय ईरानी महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्त थे। औरंगजेब ने राजपूतों को उच्च पदों पर नियुक्त किया।

(2) जात और सवार : अभिजात वर्ग में दो प्रकार के संख्या-विषयक पद होते थे - जात व

सवार। जात शाही पदानुक्रम में अधिकारी या मनसबदार के पद और वेतन का सूचक था। सवार यह

सूचित करता था कि उसकी सेवा में कितने घुड़सवार रखना अपेक्षित था।

(3) सैन्य अभियानों में भाग लेना : अभिजात वर्ग कई प्रकार के कार्य करते थे। सैनिक

अभियानों या युद्ध के समय अपनी सैनिक टुकड़ियों के साथ भाग लेते थे। प्रान्तों में वे साम्राज्य के

अधिकारी के रूप में कार्य करते थें। |

4) अभिजात वर्ग में भर्ती का तरीका : अभिजात वर्ग के सदस्यों के लिए शाही सेवा शक्ति, .

धन तथा उच्चतम प्रतिष्ठा प्राप्त करने का एक साधन थी। इसमें भर्ती की एक विशेष प्रक्रिया होती थी

जिसमें मीरबख्शी, दीवान-ए-आला और सद्र-उस-सुदुर भाग लेते थे। यह प्रक्रिया दरबार में चलती थी।

(5) तैनात-ए-रकाब : यह दरबार में तैनात या नियुक्त अभिजातों का एक ऐसा सुरक्षित दल था

जिसे किसी भी प्रान्त या सैन्य अभियान में प्रतिनियुक्त किया जा सकता था। वे प्रतिदिन दो बार सुबह व

शाम को सार्वजनिक सभा-भवन में बादशाह के प्रति आत्मनिवेदन करते थे। वे बादशाह और उसके घराने की सुरक्षा का उत्तरदायित्व निभाते थे।

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