अकबर को राष्ट्रीय सम्राट क्यों कहा जाता है
प्रश्न: अनेक लोग जलालुद्दीन अकबर (556-605) को मुगल सम्राटों में महानतम मानते
हैं। उक्त कथन का उचित साक्ष्यों की सहायता से समर्थन कीजिए।
अथवा, अकबर को राष्ट्रीय सम्राट ( राष्ट्रीय राजा ) राजा क्यों कहा
जाता है?
उत्तर : पंडित नेहरू और प्रसिद्ध विद्वान् के. एम. पणिक्कर के विचारानुसार अकबर एक मह न्
राष्ट्रीय शासक था। उसने भारत में राजनीतिक और सांस्कृतिक एकता की स्थापना का प्रयास किया और
- बहुत हद तक वह सफ़ल भी हुआ। धर्म को राजनीति से पृथक् कर उसने दूरदर्शिता का परिचय दिया।
, सभी धर्मों को स्वतंत्रता देकर और राज्य के समक्ष सभी को समान घोषित कर धार्मिक भेद-भाव को
बहुत हद तक उसने दूर कर दिया। “अकबर का राज्य एक संस्कृति, एक परंपरा और एक ही राष्ट्र के
सिद्धान्त पर आधारित था और यह राज्य वस्तुतः राष्ट्रीय राज्य था।” जलालुद्दीन अकबर मुगल शासकों में
महानतम शासक था, जैसाकि निम्नलिखित साक्ष्यों से प्रमाणित होता है -
1. अकबर तेरह वर्ष की आयु में राजगंद्दी पर बैठा। उस समय मुगल साम्राज्य की स्थिति डाँवाडोल
रु थी परंतु अकबर ने न केवल साम्राज्य का विस्तार किया बल्कि उसे अपने समय का विशाल, दृढ़तम और संबसे समृद्ध राज्य बनाया। उसने हिंदुकुश तक साम्राज्य का विस्तार करने में सफलता प्राप्त की तथा ईरान के सफावियों और तुरान के उजबेकों की विस्तारवादी योजनाओं पर लगाम लगा कर रखी।
2.उसने अपने साम्राज्य में एक ही प्रकार की शासन-व्यवस्था की स्थापना
की, जो भारत को एक
राजनीतिक सूत्र में बाँधने में काफी
सहायक हुई। उसने एक-सी भूमि-व्यवस्था और एक-
मुद्रा-प्रणाली की व्यवस्था कर आर्थिक
एकता की स्थापना की। साथ ही उसने समान न्याय की
व्यवस्था की। सामाजिक सुधार की भी दिशा
में उसने कदम उठाया।
3.अकबर ने सुलह-एं-कुल का आदर्श अपनी नीतियों में लागू किया। उसने 563 में तीः
कर और 564 में जजिया कर समाप्त कर दिंया। ।
4.अकबर ने राजपूतों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करके उनका समर्थन
प्राप्त कर लिया।
5.अकबर द्वारा झरोखा दर्शन की प्रथा शुरू की गयी। इसका उद्देश्य
जन-विश्वास के रूप में.
शाही सत्ता की स्वीकृति को ओर विस्तार
प्रदान करना था।
6.अकबर के शासन काल में सभी लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता थी। यहाँ तक
कि शाही महल में
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