बोद्धसाहित्य के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए ।

 प्रश्न : बोद्धसाहित्य के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए ।

अथवा, उन ग्रंथों का नाम लिखिए जिसमें बुद्ध के उपदेश एवं शिक्षाएँ संग्रहीत हैं।.

उत्तर : बौद्ध धर्मावलम्बियों, दार्शनिकों और विचारकों ने विशाल बोद्ध साहित्य की रचना की। बोद्ध धर्म के सिद्धांत ग्रंथों में "त्रिपिटिक' का महत्त्वपूर्ण स्थान है। 'पिटिक' का अर्थ पेटियाँ या मंजूषाएँ हैं। त्रिपिटक' नाम तिन ग्रंथ संग्रहों का सामूहिक नाम है। ये तीन ग्रंथ विनय पिटक ', 'सुत्त पिटक' और अभिधम्म पिटक ' हैं

प्रथम बौद्ध संगीति के समय बुद्ध की मूलभूत शिक्षाओं को दो ग्रंथों में 'विनय' एवंसुत्त पिटक में क्रमबद्ध करके संकलित किया गया था।

तीसरी बौद्ध संगीति के समय 'अभिधम्म पिटको नामक एक नये पिटक ग्रंथ का संकलन हुआ।

मूलतः इन्हीं तीन ग्रंथ समूहों को 'त्रिपिटिक' के नाम जाना जाता है।

 बिनयपिटक ' के तीन भाग हैं-सुत्तविमान, खन्‍्धका एवं परिवार पाठ

सुत्त पिटक' में पाँच निकाय हैं-दीर्घ निकाय, मज्झिम निकाय, संयुक्त निकाय, अंगुत्तर निकाय एवं खुद्दक निकाय।

अभिधम्म पिटक में बौद्ध धर्म का उल्लेख उच्चकोटि की व्याख्या सहित दर्शन के रूप में किया गया है।

बौद्ध साहित्य संस्कृत भाषा में भी.लिखा गया जिसमें अश्वघोष द्वारा रचित महाकाव्य बुद्धचरित्र' और महाविभष्य तथा 'सौन्दरानन्द' काव्य अत्यंत प्रसिद्ध है।

संस्कृत में एक अन्य बौद्ध साहित्यिक कृति भी मिली है, जिसका नाममहावस्तु' है।

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