प्रश्न: बुद्धके अनुसार मध्यम मार्ग क्या है?
प्रश्न: बुद्धके अनुसार मध्यम मार्ग क्या है?
अथवा, किस मार्ग के द्वारा निर्वाण की प्राप्ति हो सकती है?
उत्तर:
1.
बुद्ध के अनुसार अति सुख, तृष्ण और वासना और पापकर्मों से शांति के लिए कष्टमय व्रत , यज्ञ आदि दोनों ही निर्वाण नहीं दिला सकते। काम एवं विषय सुख में लिप्त होना अनर्थकर है, और साथ ही शरीर को व्यर्थ आत्याधिक कष्ट देना भि अनर्थकर है, अतः इन दोनों का परित्याग कर मध्यममार्ग को अपनाना चाहिए।
2. मध्यम मार्ग के रूप में उन्होंने आष्टांगिक
मार्ग का अनुकरण उचित बताया |
3.
बुद्ध के अनुसार यौगिक क्रियाएँ या तपस्या अथवा शारीरिक
यातनाएँ न तो तृष्णाओं का अंत कर सकेती हैं और न पुनर्जन्म तथा उसके कष्टों से मुक्ति दिला सकती हैं।
4.
मस्तिष्क को बासनाओं और तृष्णा,से बिरक्त करने के लिए बार-बार प्रार्थना, यज्ञ या वेद मंत्रों का उच्चारण निष्फल और निरर्थक है।
5.
बुद्ध,ने बताया कि तृष्ण और वासनाओं का विनाश तथा दुःखों का निरोध मध्यम मार्ग अर्थात “आष्टागिक मार्ग” के अनुकरण से ही हो सकता है।
6.
आशष्टांगिक मार्ग इस प्रकार हैं : - (1)
सम्यक दृष्टि (2) सम्यक संकल्प (3) सम्यक वचन (4) सम्यक कर्म (5) सम्यक आजीबव (6) सम्यक व्यायाम (7) सम्यक स्मृति और (8) सम्यक समाधि।
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