प्रारम्भिक भारतीय काल में मंदिर वास्तुकला के विकास का वर्णन करें।
प्रश्न : प्रारम्भिक भारतीय काल में मंदिर वास्तुकला के विकास का वर्णन
करें।
» अथवा, प्रांचीन भारतीय मंदिर वास्तुकला के विकास पर संक्षिप्त प्रकाश डालें।
अथवा, भारत के प्राचीन काल में मंदिर निर्माण शैली के विकास को इंगित करें।
उतर - प्रारम्भिक भारतीय मंदिर वास्तुकला के अन्तर्गत विशाल चट्टानों को काटकर गुफा मंदिरों का निर्माण किया गया। इन गुफा मंदिरों के साक्ष्य मौर्यकाल में मिलते हैं। मौर्य सम्राट अशोक और
उसके पौत्र दशरथ ने गया (वर्तमान बिहार) के पास बराबर एवं
नागार्जुन की पहाड़ियों में चट्टानों को काटकर गुफा मंदिरों का निर्माण करवाया।
2.इस मंदिर कला का सबसे विकसित रूप 8वीं सदी के केलशनाथ (शिव भगवान) के मंदिर में जिसमे दृष्टिगोचर होता है जिसमें पूरी पहाड़ी को काटकर उसे मंदिर का रूप
दिया गया था।
3.अजन्ता एवं एलोरा के गुफा मंदिर इस कला के अनुपम उदाहरण हें।
3. प्रारम्भिक मंदिर एक चौकोर कमरे के रूप में थे जिन्हें गर्भगृह कहा जाता था। इनमें एक
4.दरवाजा होता था जिससे उपासक मूर्ति की पूजा करने के लिए भ्रीतर
प्रविष्ट हो सकता था।
5.धीरे-धीरे गर्भगृह के ऊपर एक ऊँचा ढाँचा बनाया जाने लगा
जिसे शिखर कहा जाता था।
(4) मंदिर की दीवारों पर अक्सर भित्ति चित्र उत्कीर्ण किये जाते थे।
(5) अब मंदिरों के साथ विशाल सभा-स्थल,
ऊँची दीवारें और तोरण भी गाड़े गये। जल आपूर्ति का भी प्रबन्ध किया जाने लगा।
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