महावीर जैन के मुख्य उपदेश हैं:
महावीर जैन के मुख्य उपदेश क्या हैं ?
महावीर जैन के उपदेशों की पाँच नीतियों, सिद्धांतों या महाव्रत को जैन-दर्शन में 'पंच अणुब्रत' कहा गया है। ये पंच ओणुब्रत इस प्रकार हैं-
(i) अहिंसा: 'अहिंसा ब्रत' के पालन का तात्पर्य उस धर्म से है, जिस धर्माचरण के अनुसार मनुष्य को हिंसा का विचार या कल्पना तक मन में नहीं लानी चाहिए। इसी प्रकार
उसे किसी भी प्रकार की हिंसा, यथा-“मनसा, वाचा, कर्मणा' हिंसा को कभी भी प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
(ii) सत्याचरण: जैनियों का दूसरा महान ब्रत सत्य है।
सत्य-ब्रत के निर्वाह के लिए मनुष्य को
क्रोध, भय, तथा लोभ पर विजय प्राप्त करनी चाहिए।
(3) अस्तेय: अस्तेय का तात्पर्य है 'चोरी नहीं करना' जैनियों के विचार से बिना आज्ञा के किसी
की वस्तु को ले लेना एक प्रकार की चोरी है।
(4) अपरिग्रह: संसार के बंधनों से मुक्ति के लिए इन्द्रियों को अपने वश (नियंत्रण) में रखना परमावश्यक
है।
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