साँची स्तूप और अमरावती स्तूप
प्रश्न : साँची स्तूप और अमरावती स्तूप की खोज पर टिप्पणी लिखें।
अथवा, साँची का स्तूप क्यों बच गया और अमरावती का स्तूप क्यों नष्ट हो गया?
अथवा, स्पष्ट कीजिए कि अमरावती के स्तूप का क्या हुआ और क्यों?
उत्तर:
1.
1818 ई. में सर्वप्रथम साँची के स्मारकों की खोज जनरल टेलर ने की। बाद में, 1818 ई में मेजर कौल तथा 1912 ई. में सर जॉन मॉर्शल ने इसकी खुदाई कराई। शाहजहाँ बेगम और उनकी उत्तराधिकारिणी सुल्तान जहाँ भोपाल की प्रमुख बेगमें थीं, जिन्होंने साँची के स्तूप के
संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है |
2.
जब साँची की खोज हुई, इसके तीन तोरणद्वार तब भी खड़े थे।
3.
चौथा वहीं पर गिरा हुआ था और टीला भी
अच्छी हालत में था। तब भी यह सुझाव आया था कि तोरण द्वारों को पेरिस या लंदन भेज
दिया जाय।
4.
किंतु किसी कारणों से साँची तोरण द्वारों वहीं का वहीं बना रहा और आज भी विद्यमान है।
5.
इसके विपरीत 1796 ई. में एक स्थानीय राजा को एक मंदिर निर्माण के क्रम में अमरावती स्तूप के भग्नावशेष मिले। उन्होंने इन पत्थरों
को खुदवाकर अपने मंदिर निर्माण के लिए विस्थापित किया।
6.
उन्होंने खजाना पाने के उद्देश्य से
स्तूप स्थल की निर्ममतापूर्वक बड़े स्तर पर खुदाई करवायी।
7.
इससे अमरावती स्तूप का मूल ढाँचा छिन्न-भिन्न हो गया। तब
से 1850 ई. तक अमरावती के इस विशाल और शानदार स्तूप के पत्थरों एवं अन्य अवशेषों की खोज अथवा शोध या
प्रदर्शन के नाम पर विभिन्न जगहों
में ले जाया जा रहा था। इससे इसकी नेसर्गिक सुन्दरता नष्ट हो गयी।
8.
अमरावती के स्तूप की खोज समय से कुछ
पहले ही हो गयी, इस कारण इसके पुरातात्विक महत्त्व को लोग समझ नहीं पाये। इसके भग्नावशैष अपने मूल स्थान से विस्थापित कर दिये गये। बाद में इन्हें संग्रह करना एक दुरूह कार्य हो गया।
9.
किसी पुरातात्विक अवशेष को उठाकर ले
जाने के स्थान पर खोज की जगह पर संरक्षित करना ज्यादा
महत्त्वपूर्ण था। अमरावती का महाचैत्य (स्तूप) अब सिर्फ एक छोटा-सा टीला है जिसका गौरव नष्ट हो चुका है।
Comments
Post a Comment