अलवार और नयनार
प्रशन : अलवार और नयनार कौन थे? वे किन भाषाओं में गाया करते थे?
उत्तर: (क) अलवार विष्णु भक्त और नयनार शिव भक्त थे।
(ख) वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते हुए तमिल भाषा में अपने
इष्ट की स्तुति में भजन गाया करते थे।
प्रश्न : दक्षिण के अलवार एवं नयनार किन दो देवताओं की आराधना करते
थे?
उत्तर : अलवार विष्णु के उपासक थे ओर नयनार शिव की आराधना करते थे।
प्रश्न: अलवारों और नयनारों की उपलब्धियों की विवेचना करें।
अथवा,
तमिलनाडु के अलवार और नयनार संतों के
विचारों एवं कार्यों का संक्षेप में वर्णन करें।
अथवा,
तमिलनाडु के अलवार और नयनार संतों के
बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
1.
प्रारंभिक भक्ति आन्दोलन लगभग 6वीं शताब्दी में दक्षिण में विष्णुभक्त
अलवारों और नयनार भगवान शिव की अराधना करते थे
2.
इनके गायन भाषा तमिल थी। .
3.
अलवार और नयनार संतों ने जाति प्रथा एवं
ब्राह्मणों की प्रभुता के विरोध में आवाज उठायी।
4.
बे एक स्थान से दूसरे स्थान में भ्रमण
करते हुए तमिल में अपने इष्ट देव की स्तुति में भजन गाते थे
5.
अपनी यात्राओं के क्रम में अलवार और
नयनार संतों ने कुछ पावन स्थलों को अपने इष्ट का निवास स्थल घोषित किया। इन्हीं स्थलों पर बांद में विशाल मंदिरों का
निर्माण हुआ और वे तीर्थस्थल माने गए |
6.
संत-कवियों के भजनों को इन मंदिरों में
अनुष्ठान के साथ गाया जाता था और साथ ही इन संतों की प्रतिमा की भी पूजा की जाती थी।
7.
इस परंपरा की सबसे बड़ी विशिष्टता इसमें
स्त्रियों की उपस्थिति थी। उदाहरण के लिए अंडाल नामक अलवर स्त्री के भक्ति गीत
व्यापक स्तर पर गाये जाते थे।
क्यों और किस तरह शासकों ने नयनार और सूफी संतों से अपने सम्बन्ध
बनाने...
का प्रयास किया?
उत्तर : नयनार संतों का दक्षिण के राज्यों से सम्बन्ध ।
(1) शक्तिशाली कोल सम्राटों ने ब्राह्मणीय
और भक्ति परम्परा को समर्थन दिया तथा विष्णु ओर शिव
के मंदिरों के निर्माण के लिए भूमि अनुदान दिये। हे
(2) चिदम्बरम्, तंजावुर और गंगैकोंडचोलपुरम के विशाल शिव मंदिर चोल सम्राटों की
सहायता से...
ही बने। ह
(3) नयनार और आलवार संत बेल्लाल कृषकों द्वारा सम्मानित होते थे। इसलिए
आश्चर्य नहीं कि.
शासकों ने भी उनका समर्थन पाने का प्रयास किया।
(4) चोल सम्राटों ने दैवी समर्थन पाने का दावा किया और अपनी-सत्ता के
प्रदर्शन के लिए सुन्दर
मंदिरों का निर्माण कराया जिनमें पत्थर और धातु की बनी मूर्त्तियाँ
सुसज्जित थीं।
(5) 945 ई. के एक अभिलेख से ज्ञात होता है कि चोल सम्राट परांतक प्रथम ने संत
कवि आपारसंबंदर और सुंदबार की धातु की प्रतिमाएँ एक शिव मंदिर में स्थापित करवायी।
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