अशोक के अभिलेख
प्र.अशोक के अभिलेख के बारे में आप क्या जानते हैं ? वर्णन करें |
उतर –
1. सबसे प्राचीन अभिलेख
राजा अशोक के समय के हैं | यह अभिलेख अशोक ने चट्टानों और खंभों पर खुद बाय थे |
2.
इनकी भाषा पाली है और यह ब्राही लिपि में है लेकिन उत्तर पश्चिम
प्रदेश में अशोक ने एक-दूसरे लिपि का प्रयोग किया जिसे खरोष्ठी लिपि कहते हैं
3. यह फारसी लिपि की भांति दाहिनी ओर से
प्रारंभ करके बाय और लिखी जाती है इनमें अशोक की आज्ञा खुद बीच है इन अभिलेखों को
सबसे पहले प्रिंसेप नामक विद्वान ने पढ़ा
4.
अभिलेख में शासक अशोक का नाम नहीं लिखा है उसमें अशोक द्वारा धारण की
गई उपाधियों का उल्लेख है जैसे कि देवनाम्प्रिया (देवताओं का प्रिय) और प्रियदर्शी
(देखने में सुंदर )
5. केवल रायचूर जिले के मास्की के अभिलेख
मे ही अशोक का नाम का उल्लेख मिलता है |
6.
ब्राह्मी लिपि बाएं से दाएं और
खरोष्ठी लिपि दाएं से बाएं लिखी जाती थी. परंतु अशोक के एर्रगुडी शिलालेख में
ब्राही लिपि दाएं से बाएं लिखी हुई है.
7.
पांचवां स्तंभ लेख में अशोक विभिन्न
जानवरों के वध करने, जंगल जलाने, एक जीव को दूसरे जीव को खिलाने, पशुओं और घोड़े को दागने पर प्रतिबंध
लगाता है. अशोक का सबसे लम्बा स्तम्भ लेख उसका सातवाँ लेख है. उसका सबसे छोटा लेख
रुम्मिनदेई में स्थित है.
8.
अशोक के अभिलेखों की भाषा संस्कृत में
होकर पाली थी और यह उस समय आम जनता की भाषा थी.|
9.
अशोक के प्रांतों की राजधानी का
उल्लेख धौली तथा गोड के शिलालेखों में मिलता है.
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