बोद्ध धर्म के पतन के कारणों का वर्णन करें।

 प्रश्न: बोद्ध धर्म के पतन के कारणों का वर्णन करें।

उत्तर : बौद्धधर्म के पतन के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे -.. ।

(i) बौद्ध धर्म में प्रविष्ट बुराइयाँ : ब्राह्मण धर्म में निहित बुराइयाँ कालांतर में बौद्ध धर्म में भी प्रविष्ट हो गयीं। बुद्ध को देवता मानकर उनकी पूजा-अर्चना आरम्भ हुई तथा उनकी मूर्तियाँ भी बनने लगीं। बुद्ध को विष्णु का अवतार माना जाने लगा। तांत्रिक प्रभाव के कारण बौद्ध धर्म का स्वरूप भी कर्मकांडी हो गया। अतः जनता इस धर्म से विमुंख हो गयी।

(2) नव-ब्राह्मणवाद का उदय : मोर्योत्तर युग से ब्राह्मण धर्म की पुनर्स्थापना का प्रयास आरम्भ हुआ। ब्राह्मण धर्म को उत्तरी और दक्षिणी भारत के अनेक राजवंशों का प्रश्रय मिला। फलत: विष्णु ओर शिव की पूजा व्यापक रूप से प्रचलित हो गयी। दोनों धर्म अब एक दूसरे सें प्रभावित हुए। इससे उनके स्वरूप में परिवर्तन आया। दोनों धर्मों का अंतर कम हो गया। कुमारिल भट्ट और शंकराचार्य ने नव-ब्राह्मणवाद को प्रश्रय दिया और इसका प्रसार किया। इससे बौद्ध धर्म का प्रभाव घट गया।

(3) बौद्ध संघ का विलासमय और भ्रष्ट जीवन : संघ को अत्यधिक मात्रा में दान मिलने के कारण भिक्षुओं का जीवन विलासपूर्ण बन गया। स्त्रियों के संघ में प्रवेश से भोग विलास में अधिक रुचि - उत्पन्न हुई। तंत्र के प्रभाव से भी बौद्ध बिहारों में विलसिता बढ़ी। इससे संघ का सदाचारी जीवन नष्ट हो गया। इन सबका जनमानस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। लोगों का संघ से विमुख होना आरम्भ हो गया। संघ

कलह और राजनीति के केन्द्र बन गये। फलतः बौद्ध धर्म की प्रगति बाधित हुई। ..

 (4) बौद्ध धर्म का विभाजन : बौद्ध धर्म की एकता नष्ट हो गयी और वह कई सम्प्रदायों में विभक्त हो गया। अनेक समुदायों के उदय ने बौद्ध धर्म को कमजोर कर दिया।

(5) राज्याश्रय कीं समाप्ति : कुषाण काल के बाद धीरे-धीरे इस धर्म को राजकीय संरक्षण मिलना बंद हो गया। राजपूत राजाओं ने वेष्णव एवं शैव धर्म को प्रोत्साहित किया। फलतः राजकीय संरक्षण के अभाब में बौद्ध धर्म समाप्त होने लगा।

(6) विदेशी आक्रमण : हुण और तुर्क आक्रमणों का बौद्ध धर्म पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। हृण नेता मिहिरकुल ने अनेक बौद्धों की हत्या करवायी। तुर्क आक्रमणकारियों ने बंगाल-बिहार के प्रमुख बौद्ध केन्द्रों (नालन्दा, विक्रमशिला) को आग लगाकर नष्ट कर दिया। अनेक भिक्षुओं की हत्या भी कर दी गयी। बचे हुए भिक्षु नेपाल और तिब्बत भाग गये। इससे बौद्ध धर्म का पतन शीघ्र हुआ। बौद्ध धर्म 13वीं शताब्दी के आरम्भ तक भारत में प्रायः नष्ट हो गया।

(7) प्रचार माध्यम में परिवर्तन : प्रारम्भ में बौद्ध धर्म में प्रचार माध्यम के रूप में पाली को अपनाया गया था लेकिन बाद में इसके स्थान पर संस्कृत का सहारा लिया जाने लगा। परिणामस्वरूप सर्वसाधारण में बौद्ध धर्म की लोकप्रियता घटी और यह केवल संस्कृत भाषा के जानकार लोगो तक  ही सीमित रह गया।

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