भक्ति आन्दोलन
प्रश्न : भक्ति आन्दोलन कया था? भक्ति आन्दोलन से जुड़े चार संतों के नाम लिखें।
उतर - : भारत में तुर्क-अफगान काल में कड़े ब्राह्मणीय नियमों के
कारण हिन्दू समाज के उपेक्षितों का व्यापक रूप में धर्म परिवर्त्तन होने
लगा। हिन्दू समाज में धर्म-सुधारकों द्वारा नयी विचारधाराओं का प्रतिपादन किया जाने लगा जिसका मुख्य तत्त्व था कि भक्ति और मोक्ष के
अधिकारी सभी प्राणी हैं। भक्ति की यही नयी चेतना
भक्ति आंदोलन के नाम से जाना जाता है।
रामानन्द, कबीर, तुकाराम, गुरू नानक देव, मीराबाई आदि भक्ति आन्दोलन से जुड़े प्रसिद्ध संत थे।
प्रश्न : भक्ति आन्दोलन पर प्रकाश डालें?
अथवा,
भक्ति आन्दोलन का उदय एवं विस्तार का
वर्णन करें?
अथवा,
भक्ति आन्दोलन को किन तत्वों ने
प्रभावित किया?
अथवा,
भक्ति आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं का
वर्णन कीजिए।
अथवा,
भक्ति आन्दोलन के प्रभाव एवं महत्त्व
की चर्चा करें। ु
अथवा,
भक्ति आन्दोलन क्या है? भक्ति आन्दोलन का उदय क्यों हुआ? भक्ति आन्दोलन का समाज एवं संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ा? .
उत्तर :
1.
भक्ति आंदोलन का सूत्रपात यद्यपि दक्षिण
भारत से हुआ | इसके प्रचार-प्रसार का-मुख्य केन्द्र
उत्तर भारत ही था। वैसे भक्ति के विकास में महाराष्ट्र के संतों का भी
बहुत बड़ा योगदान है।
2.
प्राचीन भारत में भारतीय प्राकृतिक
शक्तियों के उपासक थे। यद्यपि शिव, विष्णु, इन्द्र आदि देवताओं का समावेश हो चुका था तथापि मध्यकाल से पूर्व भक्ति का वह
स्वरूप नहीं दिखायी देता जो मध्यकाल में भक्ति
आंदोलन के कारण प्राप्त हुआ।
3.
भक्ति आंदोलन हिन्दूधर्म की आत्मा के
द्वारा किया हुआ वह प्रयत्न कहा जा सकता हे जिसके द्वारा उसने अंधविश्वासों से जकड़ी हुई जाति को जगाने का प्रयत्न
किया और वह जाति गहरी नींद से अंगड़ाई लेकर उठ खड़ी
हुई तथा उसने भक्ति के प्रकाश द्वारा अपने को मुक्त अनुभव किया।
4.
भारत में तुर्क-अफगान काल में हिन्दू
समाज के उपेक्षित अन्त्यज (अर्वण - अछूत) आदि. इस्लाम धर्म ग्रहण करने में अपना गौरव ओर उत्थान देखने लगे थे।
हिन्दू समाज की इस दुर्बलता का लाभ उठाकर मुसलमानों
ने हिन्दू समाज के उपेक्षितों का व्यापक रूप में धर्म परिवर्तन कराने लगे। फलस्वरूप हिन्दुओं में भी अपने धर्म को सुरक्षित रखने एवं
धर्म-परिवर्त्तन को रोकने की चेतना जागी।
5.
परिणामतः हिन्दू समाज में धर्म-सुधारकों
द्वारा नयी विचारधाराओं का प्रतिपादन किया जाने लगा जिसका मुख्य तत्त्व था कि भक्ति और मोक्ष के अधिकारी सभी प्राणी
हैं। भक्ति की यही नयी चेतना भक्ति आंदोलन के नाम
से जाना जाता हे।
6.
परिणामत: हिन्दू समाज में धर्म-सुधारकों
द्वारा नयी विचारधाराओं का प्रतिपादन किया जाने लगा | जिसका मुख्य तत्त्व था कि
भक्ति और मोक्ष के अधिकारी सभी प्राणी हैं। भक्ति की यही नयी चेतना भक्ति अनदोलन के नाम से जाना जाता है। ।
7.
कबीर, तुकाराम, मलिक मोहम्मद जायसी, तुलसीदास आदि व्यापक अर्थ में वे संत
भक्त,कवि,समाज सुधारक थे जिनके विचारों का समाज
पर अच्छा प्रभाव पड़ा।
8.
सूफी संतों ने हिन्दू ओर इस्लाम धर्म
में समन्वय स्थापना की चेष्टा की। उनके प्रयास से इन दोनों जातिय में सहयोग और सहिष्णुता की भावना का विकास हुआ। ख्वाजा
मुईनुद्दीन चिश्ती, औलिया आदि प्रमुख सूफी संतों का तत्कालीन समाज एवं राजनीति पर बड़ा
प्रभाव पड़ा।
9.
सूफी संतों के प्रयासों के कारण हिन्दू
और मुसलमान धर्म एवं संस्कृति परस्पर प्रभावित हुई | उनके प्रयत्नों से इस्लाम धर्म में भी उदार और गतिशील तत्त्वों का समावेश
हुआ। जिसके चलते भारतवर्स में हिन्दू-मुस्लिम एकता को बल मिला और वह दृढ़ हुई।
10.
कबीर और गुरु नानक दोनों ने ही छुआछूत , ऊँच-नीच, गरीब-अमीर और धार्मिक पाखण्डों का विरोध
किया था। उन्होंने उपदेस और शिक्षाओं द्वारा यह सिद्ध किया कि हिन्दू और मुसलमानों में तत्त्वत: कोई भेद नहीं है।
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