गुप्त काल की शासन व्यवस्था का वर्णन करें

 

गुप्त काल की शासन व्यवस्था का वर्णन करें

उतर – गुप्त सम्राटों ने एक आदर्श एवं श्रेष्ठ शासन प्रणाली स्थापित की थी | उनका प्रशासन सुव्यवस्थित था और उनकी प्रजा सुखी संपन्न और समृद्धि थी | समस्त राज्य शासन के सुप्रबंधन के लिए शासन मुख्यता चार भागों में विभक्त था – ii. केंद्रीय शासन व्यवस्था ii. प्रांतीय शासन(भुक्ती) व्यवस्था  iii. जिला(विषय) शासन व्यवस्था  iv. ग्राम शासन

1.केंद्रीय शासन - गुप्त साम्राज्य में एक तांत्रिक शासन प्रणाली थी | गुप्त सम्राट साम्राज्य के सर्वोच्च शासक और सर्वोपरि अधिकारी थे | ये  सेना , शासन एवं न्याय तीनों के प्रमुख थे | उनके अधिकार में ही सर्वोच्च सैनीक , राजनीति एवं शासकीय और न्याय संबंधी शक्तियां केंद्रित थी |

2. प्रान्तीय शासन गुप्त शासन कई इकाइयों में बटा था | शासन की सुविधा के लिए राज्य प्रांतों में बटा था | प्रांत को भुक्ति भी कहते थे | भुक्ति के नीचे भोग (डिवीजन) , विषय (जिला) विथी (तहसील या परगना) मंडल (ग्राम समूह) आदि थे| जिला का अध्यक्ष विषयपति शासन के लिए सीधे प्रांतीय शासक के प्रति उत्तरदाई थे | विषयपतियों का गुप्त शासन में बड़ा महत्व था | वह अपने जिले की सुरक्षा शांति और व्यवस्था के लिए उत्तरदाई थे

3.सामंतवाद का विकास - सामंतवाद का विकास इस युग की विशेषता थी |

गुप्त शासन व्यवस्था उच्च कोटि की थी और सर्वत्र पूर्ण शांति विद्वान थे | सामंत अलग सेना भि रखते थे जो समय समय पर युद्ध के समय राजा को सैनिक सहायता भि  देते थे|

4.स्थानीय स्वशासन -  स्थानीय स्वशासन के अंतर्गत नगर और ग्राम का शासन आता है | नगर की सभी बातों का नियंत्रण नगरसभा के अधीन था |

5.ग्राम शासन ग्राम का अधिपति ग्रामपति या  महतर कहलाता था | उसकी सहायता के लिए एक छोटी सी समिति होती थी जिसे पंचायत कहते थे | ग्राम सभा की राय से सारे कार्य करते थे | न्याय का कार्य पंचायत द्वारा होता था | ग्राम पंचायत अपने कार्य में स्वतंत्रता थी |

6.सैनी व्यवस्था एवं पुलिस प्रबंधन - गुप्त सम्राट साम्राज्यवादी थी इसलिए उन्होंने एक विशाल एवं शक्तिशाली सेना का संगठन किया था | सम्राट सेना का प्रधान था और उसके अधीन प्रधान सेनापति कार्य करते थे |

7.पुलिस प्रबंधन - देश के आंतरिक शांति और सुरक्षा के लिए पुलिस विभाग था | इस विभाग का सर्वोच्च अधिकारी दण्डपाशिक होता था | पुलिस विभाग के साधारण कर्मचारी को चार्ट , भाट अथवा रक्षिण कहा जाता था | पुलिस की सहायता के लिए गुप्तचर भी होते थे

8.आय और व्यय के साधन राज्य की आय का प्रमुख स्रोत भूमिकर था | भूमि कर को ऊपरी कर या उद्रंग कहा जाता था | अस्थाई क्रिस्को से ऊपरी कर एवं अस्थाई कृषकों के लिए जाने वाले कर को उद्रंग कहते थे | उपज का जो हिस्सा राजा को दिया जाता था उसे भाग कहते थे | जो कुल उपज का 1/6 भाग होता था| व्यापारियों से सीमा पर लिए जाने वाले कर को शुल्क कहते थे | कारीगरों से उद्योग कर लिया जाता था

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