गुप्त साम्राज्य के पतन के क्या कारण थे ?

 

प्र. गुप्त साम्राज्य के पतन के क्या कारण थे ?

उतर - गुप्त साम्राज्य का 550 ई. में पतन हो गया । कुमारगुप्त गुप्त वंश का अन्तिम शासक था | इसके बाद गुप्त साम्राज्य का पूरी तरह से पतन शुरू हो गया।

गुप्त साम्राज्य के पतन के निम्नलिखित कारण थे

i) अयोग्य तथा निर्बल उत्तराधिकारी - स्कंद गुप्त के बाद अधिकांश गुप्त शासक निर्बल तथा अयोग्य साबित हुए | इसका परिणाम यह निकला कि शत्रु राज्यों को गुप्त साम्राज्य के उच्च अधिकारियों की निर्बलता का एहसास हो गया और इस मौके का उचित लाभ उठाया |

(ii) शासन-व्यवस्था का संघात्मक स्वरूप - गुप्त साम्राज्य एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ था | शासन व्यवस्था को अच्छे से चलाने के लिए कई छोटे-छोटे प्रांत बनाए गए थे | इस प्रांत मे सामंत  अपने-अपने क्षेत्रों में शासन करने के लिए पूर्ण  रूप से स्वतंत्र थे हालांकि इस संध  का मुख्य प्रधान गुप्त शासक होता था | जब तक केंद्रीय सत्ता मजबूत रही तब तक सामंत अपने को गुप्त शासन के अधीन रखे | लेकिन जैसे केंद्रीय सता निर्बल होने लगी तो इन सामंतो ने अपने अपने क्षेत्र मैं स्वयं को उस क्षेत्र का शासक घोषित कर लिया

(iii) उच्च पदों का वंशानुगत होना गुप्त राज्य व्यवस्था वंशानुगत राजतंत्र की व्यवस्था थी | इसके कारण भी उनका पतन हुआ | सामंतो के द्वारा इस वर्ग ने संकटकाल में राज्य को बचाने का प्रयास करने के बजाय उनकी कठिनाइयों का लाभ उठाकर अपना स्वतंत्र राज्य बनाना ज्यादा बेहतर समझे | उनके  इस कार्य ने  भी साम्राज्य के पतन का कारण बना

(iv) कुशल प्रशासन - जो गुप्त वंस कुशल प्रशासन व्यवस्था के कारण उगा  था | वहीं प्रशासन इसके पतन का भी का कारण भी बन गया | गुप्त शासनकाल में सामंती प्रथा वंशानुगत थी | राजतन्त्र के विघटन ने सामंतो को अपनी -अलग शासन व्यवस्था बनाने का कारण मिल गया | परिणाम स्वरुप सामंत ने अपने इलाके को एक अलग राज्य के रूप में प्रसिद्ध करके देश को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर चंद्रगुप्त प्रथम के प्रयासों को पूरी तरह विफल कर दिया |

(v) वाह्य आक्रमण - विदेशी आक्रमणों के कारण गुप्त साम्राज्य कमजोर  हो गया था | शक और हूणों  के आक्रमण ने  साम्राज्य की रक्षा करने में केवल स्कंद गुप्त सफल रहे | स्कंदगुप्त की मृत्यु के बाद हुनों का पुनः आक्रमण प्रारंभ हो गया फल स्वरुप गुप्त साम्राज्य नष्ट हो गए

 

(vi) बौद्ध धर्म का प्रभाव - अहिंसक बौद्ध धर्म का प्रभाव गुप्त वंस के शासक  चंद्रगुप्त द्वितीय के पुत्र कुमारगुप्त प्रथम के शासनकाल में दिखाई देने लगा इसके परिणामस्वरूप गुप्त वंशज शासन करने के अहिंसक प्रवृत्ति को अपनाने लगे | इससे सैनीक का मनोबल टूटने लगा और युद्ध के स्थान पर वह अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए मजबूर हो गए इसके परिणाम स्वरूप आसानी से जीतने वाले युद्ध हार गए |


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