गुरु नानक
गुरु नानक के उपदेशों का वर्णन करें। इन उपदेशों का संप्रेषण कैसे हुआ?
अथवा, गुरु नानक के संदेश 2ववीं सदी में भी क्यों महत्त्वपूर्ण हैं? |
अथवा, गुरुनानक की शिक्षाओं की व्याख्या कीजिए। कया वे एक नये धर्म की
स्थापना करना चाहते थे? उनके पश्चात क्या हुआ?
उत्तर: सिखों के गुरु नानक के उपदेशों में हिन्दू-मुस्लिम एकता तथा
तार्किकता का समन्वय था। उन्होंने धार्मिक पाखण्डों, जात-पात तथा छुआछूत आदि के विरुद्ध अपने
संदेश दिये। उनके निम्नलिखित उपदेशों के आधार पर हम कह
सकते हैं कि उनके संदेश आज की स्थिति में भी महत्त्वपूर्ण है -
(1) गुरु नानक निर्गुण एवं निरंकार एकेश्वर के
उपासक थे। उन्होंने धर्म के बाह्य आडम्बरों का विरोध किया तथा जाति-पाँति, ऊँच-नीच, छुआ-छूत, उपवास, मूर्त्तिपूजा, अन्धविश्वास, बहुदेववाद, तीर्थयात्रा आदि की कटु आलोचना की और आचरण एवं चरित्र की शुद्धता पर
जोर दिया। :
(2) उन्होंने एकेश्वर मत और भक्ति का प्रचार किया-तथा ईश्वर की भक्ति एवं
सच्चरित्रता पर जोर दिया। रब की उपासना का सरल उपाय है
- निरंतर स्मरण अथवा सुमिरन।
(3) उनका कहना था कि गहस्थ धर्म का पालन करते हए भी मोक्ष प्राप्त किया
जा सकता है |
(4) उन्होंने हिन्दू-सुस्लिम एकता पर भी जोर दिया। उन्होंने परमात्मा के
लिए हरि, राम, अल्लाह
और खुदा के नामों का भी प्रयोग किया। “न कोई हिन्दू, न कोई-मुसलमान' उनकी शिक्षाओं का सार था।
गुरु नानक के उपदेशों का प्रसार :
1.
बाबा किसी नवीन धर्म की स्थापना नहीं
करना चाहते थे। गुरु नानक की मृत्यु के पश्चात् उनके अनुयायियों ने अपने आचार-व्यवहार को
संगठित किया और अपने समुदाय को हिन्दू एवं मुसलमान दोनों से अलग एक पृथक पहचान दी।
2.
गुरु अंगद ने गुरु नानक के उपदेशों एवं
शिक्षाओं को भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने के उद्देश्य से गुरुमुखी लिपि का विकास
किया। उन्होंने गुरु नानक की शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक केन्द्र स्थापित किये।
3.
पाँचवें गुरु अर्जुनदेव जी ने गुरु नानक
तथा उनके चार उत्तराधिकारियों बाबा फरीद, रविदास औ कबीर की वाणी को “आदि गुरु ग्रंथ साहिब” में संकलित किया। इनको “गुरुवोणी” क़हा जाता है औ उनकी रचना कई भाषाओं में की गयी। |
4.
दसवें गुरु गरु गोंविद सिंह जी ने खालसा
पंथ की नींव डाली। इन्होंने ही गुरुग्रंथ साहिब की रचना की। इस प्रक,: नानक परंपरा एक नवीन धर्म में परिवर्तित
हो गया।
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