लिंगायत

 

प्रश्न : लिंगायत कौन थे?

उत्तर : लिंगायत बारहवीं शताब्दी में कर्नाटक में बासवन्ना के अनुयायी वीरशैव और लिंगायत अर्थात लिंग धारण करने वाले थे।

वे शिव कीं आराधना लिंग के रूप में करते थे।

लिंगायतों ने जाति की अवधारणा और कुछ समुदायों के दूषित होने की ब्राह्मणीय अवधारणा का विरोध किया।

प्रश्न : लिंगायत कौन थे? किसी एक विचार का उल्लेख कीजिए जिसे उन्होंने चुनौती दी थी?

अथवा, लिंगायत सम्प्रदाय का वर्णन करें।

अथवा, कर्नाटक में 2वीं संदी के दौरान वीरशैव या लिगांयत सम्प्रदाय की लोकप्रियता के पाँच मुख्य कारण बतलायें।

उत्तर: 12वीं शताब्दी में कर्नाटक में एक नवीन आन्दोलन का उद्भव हुआ, जिसका नेतृत्व बांसवन्ना  नामक एक ब्राह्मण ने किया।

बासवन्ना प्रारंभ मे जैन धर्म को मानने वाले थे और चालुक्य राजा के दरबार में मंत्री थे।

इनके अनुयायी वीरशेव (शिव के वीर) व लिंगायत (लिंग धारण करने वाले) कहलाये।

लिगांयत सम्प्रदाय की लोकप्रियता. के मुख्य कारण-

1.    लिंगायतों का विश्वास है कि मृत्योपरान्त भक्त शिव में लीन हो जायेंगे तथा इस संसार में पुन नहीं लोटेंगे।

2.    धर्मशास्त्र में बताये गये श्राद्ध , संस्कार का वे पालन नहीं करते और अपने मृतकों को विधिपूर्बक दफनाते हैं।

3.    लिंगायतों ने जाति की अवधारणा और कुछ समुदायों केदूषित' होने की ब्राह्मणीय अवधारणा का विरोध किया।

4.    पुनर्जन्म के सिद्धांत पर भी उन्होंने. प्रशशवाचक चिह्न लगाया।

5.    धर्मशासत्रों में जिन आचारों (नियम रीति-रिवाज) को अस्वीकार किया गया था, जैसे वयस्क बिबाह ओर विधवा पुनर्विवाह लिंगायतों ने उन्हें मान्यता प्रदान की।

6.    इन सब कारणों से ब्राह्मणीय समाज में जिन समुदायों को सम्मानजनक स्थान प्राप्त नहीं था वे लिंगायतों के अनुयायी हो गये।

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