साँची स्तूप की संरचना का वर्णन कीजिए
प्रश्न : स्तूपों के निर्माण का उद्देश्य क्या था? स्तूप की संरचना का
सोदाहरण वर्णन कीजिए।
अथवा, स्तूप क्यों और कैसे बनाये जाते थे? चर्चा कीजिए।
अथवा, साँची स्तूप की संरचना का वर्णन कीजिए।
अथवा, साँची स्तूप के मुख्य द्वार की बनावट वर्णन करें।
अथवा, साँची और अन्य स्थानों की वास्तुकला को समझने के लिए बौद्ध धर्म
ग्रन्थों का अध्ययन आवश्यक है। समीक्षा कीजिए।
उत्तर: स्तूप निर्माण की परम्परा बौद्ध धर्म से पूर्व की थी, किंतु बाद में वह बौद्ध धर्म से जुड़ गयी।
चूँकि उनमें ऐसे अवशेष रहते थे जिन्हें पवित्र समझा जाता था, इसलिए सम्पूर्ण स्तूप को ही बुद्ध और बौद्ध धर्म के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठा मिली। अशोकावदान नामक एक बोद्ध ग्रन्थ के अनुसार
1.
अशोक ने बुद्ध के अवशेषों के हिस्से
प्रत्येक महत्त्वपूर्ण शहर में बाँटकर उनके ऊपर स्तूप बनाने का आदेश दिया।
2.
ई.पू. दूसरी शताब्दी तक भरहुत, साँची और सारनाथ जैसे स्थानों पर स्तूप
का निर्माण हो चुका था।
3.
स्तूपों की एक विशिष्ट संरचना होती है।
साँची स्तूप की संरचना का विशेष उदाहरण है।
1.
साँची स्तूप - आकर्षक गोल टीला (अण्ड) के स्वरूप का है। अंड के ऊपर एक छज्जे जैसा ढाँचा बनाया गया, जिसे हर्मिका कहते हैं। यह देवताओं के घर का प्रतीक है। हर्मिका से एक मस्तूल
निकला है, जिसे यष्टि कहते हैं।
2.
सबसे ऊपर छत्री है। वेदिका पवित्र टीले
के चारों ओर बनायी गयी है। ..
3.
साँची के तोरण द्वार तो इतने कलात्मक
हैं कि यूरोपीय देश उन्हें अपने संग्रहालयों में रखना चाहते थे। -
4.
साँची की बुद्ध मूर्तिकला को समझने के
लिए कला इतिहासकारों को बौद्ध धर्म से सम्बन्धित धार्मिक साहित्य को समझना पड़ा।
5.
बौद्धचरित लेखन के अनुसार एक वृक्ष के
नीचे ध्यान करते हुए बुद्ध को ज्ञान
6.
की प्राप्ति हुई। कई प्रारम्भिक
मूर्तिकारों ने बुद्ध को मानव रूप न दिखाकर उनकी उपस्थिति प्रतीकों के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया। ;
7.
पत्थरों पर पेड़ों को दर्शाया गया है।
यह पेड़ बुद्ध के जीवन की एक घटना का प्रतीक थे। इन प्रतीकों को समझने के लिए यह आवश्यक है कि इतिहासकार
कलाकारों की परम्पराओं को जानें।
8.
साँची में उत्कीर्ण अनेक मूर्तियाँ
बौद्ध मत से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित नहीं थीं। इनमें से कुछ सुन्दर स्त्रियाँ तोरणद्वार के किनारे एक पेड़ पकड़ कर झूलती हुई प्रदर्शित
की गयी हैं।
9.
लोकपरम्पराओं के अनुसार इस स्त्री द्वारा छुए जाने पर
वृक्षों में फूल-फल खिल उठते थे। ।
10.
साँची की मूर्तिकला में हाथी, घोड़े, बंदर और गाय-बैल आदि जानवरों का चित्रण
किया गया है।
11.
साँची में जानवरों से सम्बन्धित कई जातक
कथाओं का चित्रण किया गया है। जानवरों को मनुष्यों के गुणों के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया
जाता था। उदाहरण के लिए हाथी , शक्ति और ज्ञान के प्रतीक माने जाते थे।
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