1857 ई. के विद्रोह में अफवाहों
प्रश्न: 1857 ई. के विद्रोह में अफवाहों की क्या भूमिका थी?
उत्तर; 1857 ई, के विद्रोह के पूर्व अफवाहें बड़ी तेजी
से लोगों के बीच फैलीं। इसका एक प्रमुख
कारण था लोगों के बीच अंग्रेजों की मंशा के प्रति भय एवं संदेह का
वातावरण।
(i) वस्तुत: 1820 के दशक से ही लॉड बेंटिक ने भारत में समाज सुधार की नीतियों को लागू
करना शुरू किया था। सती-प्रथा पर रोक, बाल-विवाह के विरूद्ध कानून तथा
विधवा-विवाह आदि को प्रश्नय
देने सम्बन्धी नीतियों से जममानस को यह लगने लगा कि अंग्रेज उनके
पुराने रीति-रिवाजों को समाप्त
कर उन्हें ईसाई बना लेना चाहते हैं।
(ii) दूसरी ओर बहाबी आन्दोलन तथा अन्य इस्लामी देशों में अंग्रेजों द्वार
किये जा रहे कार्यों से मुसलमानों को भी यह भय था कि अंग्रेज उनके धर्म को नष्ट कर अपना धर्म
थोपने की कोशिश कर रहे हैं।
(॥i) राजनीतिक एवं प्रशासनिक स्तर पर
राजाओं को गोद लेने से वंचित करना, हड़प नीति,
बहादुरशाह जफर का अपमान आदि कार्य-कलापों से जनता और भी अधिक संशकित
थी।
(iv) इन परिस्थितियों में तरह-तरह की अफवाहों और भविष्यवाणियों ---
सिपाहियों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले कारतूस के पालीस में गाय और सूअर की चर्बी, आटे में गाय और सूअर की हड्डियों का चूरा मिलाने की बात और यह भविष्यवाणी कि प्लासी के युद्ध के 100 साल बाद अर्थात 1857 में अंग्रेजी राज का खात्मा, देश के विभिन्न भागों में रहस्यमय
चपातियों का वितरण आदि ने लोगों को
अंग्रेजों के विरुद्ध उकसाया और अत्यन्त शीघ्र ही इसने 1857 ई. के विद्रोह का रूप ले लिया।
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