भारतीय संविधान सभा ने भाषा विवाद
प्रश्न : भारतीय संविधान सभा ने भाषा विवाद को कैसे हल किया?
अथवा, संविधान सभा ने भाषा
विवाद को हल करने के लिए क्या रास्ता निकाला?
उत्तर :
i) संविधान सभा के शुरुआती सत्र में संयुक्त प्रान्त के कांग्रेसी सदस्य
आ. वी. धुलेकर ने
जोरदार शब्दों में कहा कि हिन्दी
संविधान निर्माण की भाषा होनी चाहिए। |
ii) लेकिन जब कहा गया
कि सभा के सभी सदस्य हिन्दी नहीं समझते हैं तो धुलेकर ने यह कहकर
“ सनसनी फैला दी कि जो सदस्य हिन्दी नहीं समझते उन्हें सदस्यता का
परित्याग कर चले जाना चाहिए।
iii) घुलेकर की इस टिप्पणी के कारण सभा में हंगामा होता रहा और वे
हिन्दी में अपना भाषण देते
रहे।
iv) बाद में नेहरू के हस्तक्षेप से सदन में शान्ति स्थापित हुई। लेंकिन
भाषा का सवाल अगले तीन
साल तक बार-बार सदन की
कार्रवाइयों में बाधा डालता रहा और सदस्यों को उत्तेजित करता रहा।
भाषा विवाद का समाधान :
(i) संविधान सभा की भाषा समिति ने राष्ट्रीय भाषा के प्रश्न पर एक
फार्मूला विकसित कर लिया था।
(ii) समिति ने सुझाव दिया कि देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी भारत की
राजकीय भाषा होगी।
(iii) समिति का मानना था कि हिन्दी को धीरे-धीरे राष्ट्र भाषा बनाना चाहिए।
इसके लिए अगले 15
सालों तक सरकारी काम काज में अंग्रेजी
का प्रयोग जारी रहेगा।
iv) प्रत्येक प्रान्त को अपने काम के लिए कोई एक क्षेत्रीय भाषा चुनने
का अधिकार होगा।
v) भाषा समिति ने हिंदी को राष्ट्रभाषा के स्थान पर राजभाषा कह कर
विभिन्न पक्षों को शान्त करने.
और समस्या का एक सर्वसम्मत हल ढूँढ़ने
का प्रयास किया। े
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