भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों

 

प्रश्न: भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डालें।

अथवा, भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निहित मुख्य उद्देश्यों पर प्रकाश डालें।

अथवा, भारतीय संविधान की की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर : संविधान के प्रस्तावना में भारत कोसंप्रभुत्व, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, प्रजातांञ्रिक -

गणतंत्रघोषित किया गया। तदनुरूप संविधान में संसदीय कार्यप्रणाली, व्यस्क मताधिकार, जनमत,

प्रेस की स्वतंत्रता आदि जैसे विषयों को संविधान में शामिल किया गया।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना के आधार पर संविधान के मूल सिद्धान्त निम्नलिखित हैं -

1) प्रभुता सम्पन्न राष्ट्र : भारत की संप्रभुता उसकी जनता में निहित है। प्रभुत्वसंपन्‍न देश होने

का अर्थ यह है कि भारत अपनी आंतरिक और बाह्य नीतियों के निर्धारण में स्वतंत्र है। भारत अंतर्राष्ट्रीय

स्तर पर अपनी इच्छानुसार व्यवहार करने के लिए स्वतंत्र है।

 

2.समाजवादी : शासन का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक उत्पीड़नों से मुक्ति

दिलाना है।

3.) धर्मनिरपेक्ष : मूल संविधान में भारत को धर्मनिरपेक्ष नहीं बताया गया था। इसे प्रस्तावना

में 44 वें संशोधन अधिनियम 1976 के द्वारा जोड़ा गया। भारत , शासन कार्यों में धर्म का सहारा

नहीं लेता है और भारतीय सीमाओं के भीतर सभी धर्मों को सम्मानं और विकसित होने का समान

अवसर प्रदान करता है।

4.) प्रजातांत्रिक : भारत एक प्रजातांत्रिक देश घोषित किया गया है। यह न्याय, स्वतंत्रता,

समानता और बंधुत्व की भावना पर आधारित है। इन तत्त्वों को मूलभूत अधिकार तथा नीति निर्देशक

तत्त्वों के अन्तर्गत स्थान दिया गया हे। !

5.) गणराज्य : भारत राज्यों का गणराज्य है। राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होता है तथा यह

पैत्तक या वंशानुगत पद नहीं है। उसका निर्वाचन जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के द्वारा होता है।

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