चंपारण सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह

 

प्रश्न: चंपारण सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर : भारत वापस लौटने पर गाँधी जी का साक्षात्कार चंपारण और खेड़ा के किसानों की दयनीय

दशा से हुआ। गाँधी जी ने इन दोनों स्थानों पर अपने विचारों पर आधारित सत्याग्रह का प्रयोग किया

जिसके सकारात्मक परिणाम निकले। यह गाँधी जी के द्वारा सत्याग्रह का भारत में पहला प्रयोग था,

जिसमें उन्हें अपेक्षित सफलता मिली।

1.      चंपारण सत्याग्रह - 1917 ई. : बिहार के चंपारण मेंतीन कठिया' प्रथा प्रचलित थी जिसके अन्तर्गत किसानों को अपनी 3/20 भाग भूमि में नील की खेती करनी पड़ती थी तथा उसे अंग्रेजों द्वारा निर्धारित सस्ते दार्मों पर बेचना पड़ता था।

चंपारण की जनता ने गाँधी जी को चंपारण आने का निमंत्रण दिया। गाँधी जी ने चंपारण जाकर

किसानों की दुर्दशा देखी। सरकार ने उन्हें चंपारण छोड़ने का आदेश दिया, लेकिन गाँधी जी ने आदेश

मानने से इंकार कर दिया तथा सत्याग्रह के लिए तैयार हो गए। सरकार ने किसानों की दशा में सुधार हेतू

एक जांच समिति बनाईं तथा उसमें गाँधी जी को भी शामिल किया। जांच समिति की अनुशंशाओं पर

किसानों के पक्ष में सरकार द्वारा कदम उठाए गए।

2.      खेड़ा सत्याग्रह - 1918 ई. : गुजरात के खेड़ा जिले में खराब फसल के बावजूद किसानों से

लगान की मांग की गई। इससे किसानों में व्यापक तनाव ने जन्म लिया।

 गाँधी जी ने सरदार बल्‍लभ भाई पटेल की सहायता से किसानों के दुख को दूर किया। अन्ततः

सरकार ने सिर्फ उन्हीं किसानों से राजस्व की माँग की जो इसे देने में सक्षम थे।

   इन दोनों सत्याग्रहों में गाँधी जी को व्यापक सफलता मिली। वे भारत के विभिन्‍न भागों की

परिस्थितियों से अवगत हुए तथा उन्हें लगा कि भारत में सत्याग्रह का सफल प्रयोग किया जा सकता है।

इन दोनों आंदोलनों की सफलता ने गाँधी जी को असहयोग आंदोलन प्रारंभ करने का आधार प्रदान किया।

प्रश्न : खेड़ा सत्याग्रह कब और कहाँ हुआ था? इस आंदोलन में गाँधीजी को किस नेता का सहयोग मिला?

उत्तर : खेड़ा सत्याग्रह 1918 ई. में गुजरात के खेड़ा जिले में हुआ था। इस आंदोलन में गाँधीजी के

साथ सरदार बल्‍लभ भाई पटेल ने सक्रिय सहयोग दिया।

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