ईस्ट इंडिया कम्पनी काल में जमींदार

 ईस्ट इंडिया कम्पनी काल में जमींदार ने अपनी जमींदारियों पर किस प्रकार नियंत्रण बनाये रखते थे ?

अथवा, अत्यधिक राजस्व की माँग व भू-संपदा कि संभावित नीलामी से बचने के लिए बंगाल के जमींदारों द्वारा अपनायी गयी दो रणनीतियों की व्याख्या कीजिए।

 

उत्तर : ग्रामीण क्षेत्रों में जमींदार अभी भी अपनी सत्ता बनाये हुए थे। लगान की ऊंची दर और अपनी भूसम्पदा को सम्भावित नीलामी की समस्या से निबटने के लिए जमींदारों ने कई रास्ते खोज निकाले थे

i.             फर्जी बिक्री के द्वारा जमींदार अपनी जमींदारी का कुछ हिस्सा अपने परिवार की स्त्रियों को दे देते क्योंकि कम्पनी कानून के अनुसार ज्त्रियों की सम्पत्ति को नहीं छीना जाता था।

ii.            जमींदार के एजेंट नीलामी प्रक्रिया में जोड़-तोड़ करते थे।

iii.           भूसम्पदा की नीलामी की स्थिति में जमींदार के आदमी अन्य खरीददारों के मुकाबले ऊँची बोली लगाकर सम्पत्ति को खरीद लेते थे। और आगे चलकर खरीद की राशि को अदा करने से इन्कार कर देते थे।

iv.          जब कोई बाहरी व्यक्ति किसी जमींदार की जमींदारी खरीदता था तो उन्हें जमीन पर कब्जा नहीं मिलता था।

12वीं शताब्दी के प्रारम्भ में कीमतों के मंदी की स्थितिं समाप्त हो गयी, इसलिए जो जमींदार 1790 ई. के दशक की कठिन परिस्थितियों को झेल सके उन्होंने अपनी स्थिति एवं सत्ता को सुदृढ़ कर लिया।

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