फ्रांसिस बुकानन , संथाल
प्रश्न :बुकानन के अनुसार 8वीं शताब्दी के अंतिम दशकों में पहाड़िया लोगों की जीवन पद्धति का वर्णन कीजिए।
अथवा, ईस्ट इंडिया कम्पनी के रिकॉर्ड के अनुसार पहाड़ियों की जीवन शैली पर प्रकांश डालें।
उत्तर : पहाड़िया होग राजमहल की पहाड़ियों के इर्द-गिर्द रहते थे। बुकानन के अनुसार यह पहाड़ियाँ अभेद्य प्रतीत होती थीं और यात्री भी वहाँ जाने से डरते थे। अन्य लोगों के प्रति उनका व्यवहार शज्नुतापूर्ण था। उनकी जीवन पद्धति निम्न प्रकार से थी-
i. पहाड़िया लोग जंगल की उपज पर निर्वाह करते थे और झूम खेती करते थे।
ii. पहाड़िया लोग खाने के लिए जंगलों से महुआ के फूल इकट्ठे करते थे। वह बेचने के लिए रेशम के कोया, रांल और काठकोयला बनाने के लिए लकड़ियाँ इकट्ठी करते थे।
iii. पेड़ों के नीचे उगे छोटे-छोटे पौधे या परती जमीन पर घास-फूस को वह पशुओं की चारागाह के रूप में प्रयोग करते थे।
iv. अभाव या अकाल के समय पहाड़िया लोग उन क्षेत्रों पर आक्रमण करते थे जहाँ किसान स्थायी रूप से बसकर खेती करते थे। जमींदार इन पहाड़िया लोगों को खिराज देकर शांति बनाकर रखते थे। व्यापारी भी इन लोगों द्वारा नियंत्रित रास्तों से जाने के लिए पथकर दिया करते थे।
v. इस प्रकार, शिकारियों, झूम खेती करने वालों, खाद्य बटोरने वालों, काठकोयला बनाने वालों और रेशम के कीड़े पालने वाले पहाड़िया लोगों का जीवन जंगलों से घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ था।
vi. बाद में ज्यों-ज्यों कृषि का विस्तार होने लगा और जंगलों और चरागाहों की कमी होनी शुरू हो गयी तो पहाड़ी लोगों और स्थायी खेतिहरों में झगड़ों में वृद्धि हुई। अपने आपको शत्रु के सैन्यबलों से बचाने के लिए यह लोग पहाड़ों के भीतरी भागों में चले गए। भीतरी भोगों की भूमि चट्टानी, अधिक बंजर ओर शुष्क होने के परिणामस्वरूप पहाड़िया लोगों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ा और वे गरीब हो गए।
प्रश्न : फ्रांसिस बुकानन कौन था?
अथवा, बुकानन की भारत यात्रा के वास्तविक उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : फ्रांसिस बुकानन एक चिकित्सक था जो भारत आया और बंगाल चिकित्सा सेवा में (1794 ई. से 1815 ई. तक) कार्य किया। कलकत्ता में अपने प्रवास के दौरान उसने कलकत्ता में एक चिड़ियाघर की स्थापना की जो कलकत्ता अलीपुर चिड़ियाघर कहलाया। वे थोड़े समय के लिए वानस्पतिक उद्यान के प्रभारी रहे। बंगाल सरकार के अनुरोध पर उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधिकार क्षेत्र में आने वाली भूमि का विस्तृत सर्वेक्षण किया। 19वीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में बुकानन ने राजमहल की पहाड़ियों का दौरा किया था। उसने बुकानन ने राजमहल पहाड़ियों का सर्वेक्षण किया और वहाँ बसने वाली जनजाति पहाड़िया और संथालों के जीवन शैली पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की। वहाँ के भूदृश्य को देख कर बुकानन को मानव श्रम के महत्त्व का पता लगा क्योंकि मानव श्रम के समुचित प्रयोग से पूरा परिदृश्य बदल गया था।
बुकानन के सुझाव :
i. इस क्षेत्र में तम्बाकू और सरसों की खेती की जाए।
ii. कुदाल की जगह हल का प्रयोग किया जाए।
iii. खेती करने वाले समुदायों को कंपनी सरकार सुविधा और सुरक्षा प्रदान करें।
प्रशएन : फ्रांसिस बुकानन कौन था? उसने कहाँ का सर्वेक्षण किया था?
उत्तर : फ्रांसिस बुकानन एक चिकित्सक होने के साथ सर्वेक्षक भी था। उसने राजमहल पहाडियों का सर्वेक्षण किया और वहाँ बसने वाली पहाड़िया जनजाति और संथालों के जीवन शैली पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की।
संथाल के बारे मे बुकानन का विवरण क्या बतलाता है?
अथवा, संथालों को राजमहल में किस तरह बसाया गया?
अथवा, संथाल लोग राजमहल की पहाड़ियों में कैसे पहुँचे?
अधवा, पहाड़िया-संथाल संघर्ष के क्या कारण थे? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
i. राजमहल के क्षेत्र में संधालों का आगमन 800 ई. के आसपास हुआ। उन्होंने वहाँ रहने बाले पहाड़िया लोगों को नीचे के ढालों पर भगा दिया, जंगलों को साफ किया और वहीं बस गये।
ii. कम्पनी सरकार ने अपने स्वार्थों से प्रेरित होकर संथालों को जमीनें देकर राजमहल की तलहटी में बसने के लिए प्रोत्साहित किया। 1832 ई. तक जमीन के एक काफी बड़े क्षेत्र को दामिन-इ-कोह के रूप सीमांकित कर दिया गया। इसे संथालों की भूमि घोषित कर दिया गया। उन्हें इस इलाके के भीतर रहना था, हल चलाकर खेती करनी थी और स्थायी किसान बनना था।
iii. दामिन-इ-कोह के सीमांकन के बाद, संथालों की बस्तियाँ, गाँव और उनकी जनसंख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई। अब तक संथाल एक स्थायी निवास की तलाश में भटक रहे थे, दामिन-इ-कोह में आकर मानो उनकी यात्रा को विराम लग गया।
iv. जब संथाल लोग राजमहल की पहाड़ियों में बसे तो प्रारम्भ में पहाड़िया लोगों ने इसका त्रिव प्रतिरोध किया किन्तु अन्ततोगत्वा वे इन पहाड़ियों में भीतर की ओर चले जाने के लिए मजबूर कर दिये गये । इससे पहाड़िया लोगों के रहन-सहन एवं जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। जीवन यापन अत्यन्त कठिन हो गया और उनकी स्थिति अत्यन्त दयनीय हो गयी।
v. इसके विपरीत संथाल लोगों की जीवन शैली में व्यापक परिवर्तन हुआ। उनकी खानाबदोश जिंदगी समाप्त हो चुकी थी। अब वे एक जगह बस गये थे और बाजार के लिए कई तरह की वाणिज्यिक फसलों की खेती करने लगे थे तथा व्यापारियों एवं साहूकारों के साथ लेन-देन भी करने लगे थे।
प्रश्न : संथाल लोग राजमहल की पहाड़ियों में कैसे पहुँचे?
उत्तर : राजमहल पहाड़ी के मूल निवासी 'पहाड़िया जनजाति' कंपनी सरकार के अनुसार खेती-बाड़ी नहीं करते थे। इसलिए उन्होंने उस क्षेत्र के एक बड़े इलाके को 'दामिन-इ-कोह' के रूप में सीमांकित कर संथालों को वहाँ बसाना शुरू कर दिया।
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