महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय आंदोलन

 प्रश्न : महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के स्वरूप को किस तरह बदल डाला?

अथवास्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका का वर्णन करें।

अथवागाँधी जी के आगमन ने राष्ट्रीय आंदोलन के आधार को किस प्रकार विस्तृत कियाव्याख्या करे|

उत्तर :

1.                  गाँधी जी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के उद्घाटन के अवसर पर अपने भाषण में

किये गये वायदों को पूरा करते हुए 922 ई. तक भारतीय राष्ट्रवाद को एकदम परिवर्तित कर दिया।

2.                  कूपलैण्ड के शब्दों में ---'उन्होंने (गाँधी जी) वह किया जो तिलक नहीं कर सके थे। उन्होंने

राष्ट्रीय आंदोलन को क्रांतिकारी आंदोलन में बदल दिया। ... उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन को केवल क्रांतिकारी

ही नहीं बल्कि लोकप्रिय भी बना दिया। गाँधी जी के व्यक्तित्व ने देहाती इलाकों को उद्वेलित कर दिया।'

3.                  अब यह केवल व्यवसायियों और बुद्धिजीवियों का ही आंदोलन नहीं रह गया थाअब हजारों

की संख्या में किसानोंश्रमिकों और कारीगरों ने भी इसमें भाग लेना शुरू कर दिया। गाँधी जी ने अपने

व्यक्तित्वविचारों और कार्यक्रम के द्वारा राष्ट्रीय आंदोलन को एक विस्तृत आधार प्रदान किया।

4.                  गाँधी जी के आह्वान पर स्वदेशी को अपनाया गया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया

       गया। चरखा राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गया।

5.                  मादक पदार्थों के विरुद्ध आंदोलन में जनता ने खुलकर भाग लिया।

6.                   जनता ने मतदान का भी बहिष्कार किया। गाँधी जी की एक अपील पर हजारों छात्रों ने स्कूल

और कॉलेजों का बहिष्कार किया। वकीलों ने अदालतों का बहिष्कार किया।

7.                  प्रिंस आफ वेल्स के भारत आगमन का बहिष्कार किया गया और सभी जगह उनका स्वागत

         हड़तालों से किया गया।

8.            1921 ई. में गाँधी जी के आह्ान पर विदेशी बस्रों की होली जलायी गयी।

9.            खिलाफत आंदोलन एवं अली बंधुओं को अपना समर्थन प्रदान कर गाँधी जी ने एक अदुभुत हिन्दू-मुस्लिम एकता कायम की।

10.          गाँधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारतीय जनता में एक अनोखी चेतना एवं आत्मविश्वास का संचार किया। लोगों को अनुभव हुआ कि केवल संघर्ष के द्वारा ही स्वराज मिल सकता हे। यह सही अर्थों में एक जनआंदोलन था जिसमें विभिन्‍न समुदाय और प्रांतों के लोग एक झंडे के नीचे आ गये।

11.          भारतीयों में पहली बार इस सीमा तक एकता एवं राष्ट्रीय भावना का संचार हुआ। सुभाष चन्द्र बोस के शब्दों में, 'महात्मा जी ने इसको (कांग्रेस) एक नया विधान ही नहीं दियाअपितु इसे एक क्रांतिकारी संगठन में परिवर्तित कर दिया।'

 

प्रश्न : भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गाँधीजी की भूमिका का वर्णन करें।

अथवाभारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को गाँधीजी ने जन आन्दोलन कैसे बना दिया?

अथवाउपनिवेशवाद से लड़ने के लिए गाँधीजी के क्या हथियार थे?

उत्तर : गाँधी जी का सबसे बड़ा लक्ष्य स्वतंत्रता आंदोलन को एक जन आंदोलन में परिवर्तित करना ब

तथा देश को उपनिवेशवादी शक्तियों से स्वतन्त्र करना था। इसके लिए उनके द्वारा निम्नलिखित प्रमुख -

हथियार अपनाये गये जो विनाशक हथियारों से भी ज्यादा कारगर साबित हुए।

1.      अहिंसा : गाँधीजी ने अपने विचारों से स्वतंत्रता आंदोलन को हिंसात्मक होने से बचाया। वे

सत्याग्रहसविनय अवज्ञाहड़तालशांतिपूर्ण प्रदर्शन आदि के माध्यम से आंदोलन को आगे बढाना

चाहते थे। उन्होंने भारतीय जनता को राजनीतिक रूप से प्रशिक्षित किया।

2.      सत्याग्रह का प्रयोग : सत्याग्रह के प्रारंभिक प्रयोगों में गाँधी जी ने चंपारण और रवेडा मे किसानों की दशा में सुधार किया।

3.      हड़ताल का सफल प्रयोग : अहमदाबाद मिल मजदूरों के संघर्ष का नेतृत्व गाँधीजी ने किया तथा उनके प्रयासों से मजदूरों के वेतन में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

4.      असहयोग : 1920 ई. में गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया। इस आंदोलन का उद्देश्य प्रत्येक स्तर पर सरकार का विरोध एवं बहिष्कार तथा राष्ट्रीय चेतना को जागृत करना था। इस आंदोलन में जनता ने बढ़-चढ़कर पूर्ण उत्साह से भाग लिया।

5.      सविनय अवज्ञा आंदोलन : 1930 ई. में गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के अन्तर्गत डांडी यात्रा” की तथा नमक-कर का उल्लंघन किया।

6.      स्वदेशी और 'बहिष्कार' : उन्होंने “स्वदेशी” और “बहिष्कार” को अपनाया। उन्होंने स्वयं

'चरखा चलाया तथा खादी बस्तर पहने। जनता पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा और चरखा राष्ट्रीय अस्मिता

का प्रतीक बन गया।

7.      हिन्दू मुस्लिम समन्वय का प्रयांस : गाँधी ने खिलाफत आंदोलन को सक्रिय सहयोग

प्रदान किया। इससे हिन्दू-मुस्लिम एकता का वातावरण बना तथा गाँधी भी भविष्य के आंदोलन में

मुस्लिम सहभागिता के प्रति आश्वस्त हुए।

8.      दलितोद्धार एवं समाज सुधार : गाँधीजी ने समाज सुधार को स्वतंत्रता आंदोलन का अंग

बनाया। उन्होंने अस्पृश्यों की दुर्दशा को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने दलितों को “हरिजन” नाम

दिया। गाँधीजी स्त्री-स्वतंत्रता के प्रबल समर्थक थे। उनके प्रयासों से भारी संख्या में र्रियों ने स्वतंत्रता

आंदोलन में भाग लिया। इनंकी समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर गाँधीजी ने उभारा।

इस प्रकार गाँधी जी ने सभी वर्गों के लोगों को स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल कर स्वतंत्रता आंदोलन

क्री जन आंदोलन बना दिया। जिसके कारण अंततः हमें स्वतन्त्रता मिली।

प्रश्न : महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के स्वरूप को किस तरह बदल डाला?

अथवास्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका का वर्णन करें।

अथवागाँधी जी के आगमन ने राष्ट्रीय आंदोलन के आधार को किस प्रकार विस्तृत कियाव्याख्या करे|

उत्तर :

1.                  गाँधी जी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के उद्घाटन के अवसर पर अपने भाषण में

किये गये वायदों को पूरा करते हुए 922 ई. तक भारतीय राष्ट्रवाद को एकदम परिवर्तित कर दिया।

2.                  कूपलैण्ड के शब्दों में ---'उन्होंने (गाँधी जी) वह किया जो तिलक नहीं कर सके थे। उन्होंने

राष्ट्रीय आंदोलन को क्रांतिकारी आंदोलन में बदल दिया। ... उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन को केवल क्रांतिकारी

ही नहीं बल्कि लोकप्रिय भी बना दिया। गाँधी जी के व्यक्तित्व ने देहाती इलाकों को उद्वेलित कर दिया।'

3.                  अब यह केवल व्यवसायियों और बुद्धिजीवियों का ही आंदोलन नहीं रह गया थाअब हजारों

की संख्या में किसानोंश्रमिकों और कारीगरों ने भी इसमें भाग लेना शुरू कर दिया। गाँधी जी ने अपने

व्यक्तित्वविचारों और कार्यक्रम के द्वारा राष्ट्रीय आंदोलन को एक विस्तृत आधार प्रदान किया।

4.                  गाँधी जी के आह्वान पर स्वदेशी को अपनाया गया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया

       गया। चरखा राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गया।

5.                  मादक पदार्थों के विरुद्ध आंदोलन में जनता ने खुलकर भाग लिया।

6.                   जनता ने मतदान का भी बहिष्कार किया। गाँधी जी की एक अपील पर हजारों छात्रों ने स्कूल

और कॉलेजों का बहिष्कार किया। वकीलों ने अदालतों का बहिष्कार किया।

7.                  प्रिंस आफ वेल्स के भारत आगमन का बहिष्कार किया गया और सभी जगह उनका स्वागत

         हड़तालों से किया गया।

8.            1921 ई. में गाँधी जी के आह्ान पर विदेशी बस्रों की होली जलायी गयी।

9.            खिलाफत आंदोलन एवं अली बंधुओं को अपना समर्थन प्रदान कर गाँधी जी ने एक अदुभुत हिन्दू-मुस्लिम एकता कायम की।

10.          गाँधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारतीय जनता में एक अनोखी चेतना एवं आत्मविश्वास का संचार किया। लोगों को अनुभव हुआ कि केवल संघर्ष के द्वारा ही स्वराज मिल सकता हे। यह सही अर्थों में एक जनआंदोलन था जिसमें विभिन्‍न समुदाय और प्रांतों के लोग एक झंडे के नीचे आ गये।

11.          भारतीयों में पहली बार इस सीमा तक एकता एवं राष्ट्रीय भावना का संचार हुआ। सुभाष चन्द्र बोस के शब्दों में, 'महात्मा जी ने इसको (कांग्रेस) एक नया विधान ही नहीं दियाअपितु इसे एक क्रांतिकारी संगठन में परिवर्तित कर दिया।'

 

प्रश्न : भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गाँधीजी की भूमिका का वर्णन करें।

अथवाभारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को गाँधीजी ने जन आन्दोलन कैसे बना दिया?

अथवाउपनिवेशवाद से लड़ने के लिए गाँधीजी के क्या हथियार थे?

उत्तर : गाँधी जी का सबसे बड़ा लक्ष्य स्वतंत्रता आंदोलन को एक जन आंदोलन में परिवर्तित करना ब

तथा देश को उपनिवेशवादी शक्तियों से स्वतन्त्र करना था। इसके लिए उनके द्वारा निम्नलिखित प्रमुख -

हथियार अपनाये गये जो विनाशक हथियारों से भी ज्यादा कारगर साबित हुए।

1.      अहिंसा : गाँधीजी ने अपने विचारों से स्वतंत्रता आंदोलन को हिंसात्मक होने से बचाया। वे

सत्याग्रहसविनय अवज्ञाहड़तालशांतिपूर्ण प्रदर्शन आदि के माध्यम से आंदोलन को आगे बढाना

चाहते थे। उन्होंने भारतीय जनता को राजनीतिक रूप से प्रशिक्षित किया।

2.      सत्याग्रह का प्रयोग : सत्याग्रह के प्रारंभिक प्रयोगों में गाँधी जी ने चंपारण और रवेडा मे किसानों की दशा में सुधार किया।

3.      हड़ताल का सफल प्रयोग : अहमदाबाद मिल मजदूरों के संघर्ष का नेतृत्व गाँधीजी ने किया तथा उनके प्रयासों से मजदूरों के वेतन में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

4.      असहयोग : 1920 ई. में गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया। इस आंदोलन का उद्देश्य प्रत्येक स्तर पर सरकार का विरोध एवं बहिष्कार तथा राष्ट्रीय चेतना को जागृत करना था। इस आंदोलन में जनता ने बढ़-चढ़कर पूर्ण उत्साह से भाग लिया।

5.      सविनय अवज्ञा आंदोलन : 1930 ई. में गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के अन्तर्गत डांडी यात्रा” की तथा नमक-कर का उल्लंघन किया।

6.      स्वदेशी और 'बहिष्कार' : उन्होंने “स्वदेशी” और “बहिष्कार” को अपनाया। उन्होंने स्वयं

'चरखा चलाया तथा खादी बस्तर पहने। जनता पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा और चरखा राष्ट्रीय अस्मिता

का प्रतीक बन गया।

7.      हिन्दू मुस्लिम समन्वय का प्रयांस : गाँधी ने खिलाफत आंदोलन को सक्रिय सहयोग

प्रदान किया। इससे हिन्दू-मुस्लिम एकता का वातावरण बना तथा गाँधी भी भविष्य के आंदोलन में

मुस्लिम सहभागिता के प्रति आश्वस्त हुए।

8.      दलितोद्धार एवं समाज सुधार : गाँधीजी ने समाज सुधार को स्वतंत्रता आंदोलन का अंग

बनाया। उन्होंने अस्पृश्यों की दुर्दशा को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने दलितों को “हरिजन” नाम

दिया। गाँधीजी स्त्री-स्वतंत्रता के प्रबल समर्थक थे। उनके प्रयासों से भारी संख्या में र्रियों ने स्वतंत्रता

आंदोलन में भाग लिया। इनंकी समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर गाँधीजी ने उभारा।

इस प्रकार गाँधी जी ने सभी वर्गों के लोगों को स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल कर स्वतंत्रता आंदोलन

क्री जन आंदोलन बना दिया। जिसके कारण अंततः हमें स्वतन्त्रता मिली।


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