महात्मा गाँधी के प्रारम्भिक जीवन
प्रश्न : गाँधी जी के जीवन और कार्यों का
संक्षिप्त विवरण दे।
अथवा, महात्मा गाँधी के
प्रारम्भिक जीवन तथा विचारों का वर्णन कीजिए सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के महत्व को समझाइए।
अथवा, गाँधीजी के प्रारंभिक
जीवन का परिचय दें।
उत्तर : महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई. को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान में हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचन्द गाँधी था। उनके पिता कर्मचन्द गाँघी राजकोट में दीवान
के पद पर काम करते थे। गाँधीजी की माता
पुतलीबाई धार्मिक विचारों वाली थीं। तेरह वर्ष की आयु में
गाँधी जी का बिवाह कस्तूरबा से हुआ।
उनकी प्रारम्भिक शिक्षा राजकोट के अल्फ्रेड हाईस्कूल में हुई। 4
सितम्बर, 1888 ई. में वे इंग्लैण्ड गये, जहाँ उन्होंने वकालत
की पढ़ाई की। 1891 ई. में बेरिस्टर बन
कर भारत वापस आए।
एक मुकदमे के सिलसिले में, 1893 ई. महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रिका गये ।
वहाँ अँगरेजों के
भेदभावपूर्ण रवैये ने उनमें अपने देश को
स्वाधीन करने की चिंगारी जला दी। 1915 ई. में गाँधी जी
दक्षिण अफ्रिका से भारत लौटे। प्रारंभ
में उन्होंने ब्रिटिश सरकार की सहायता की क्योंकि उनका विचार था
कि प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात्
अंग्रेज भारत के प्रति सहानुभूति पूर्वक विचार करेंगे। लेकिन युद्ध के
पश्चात् उनका भ्रम टूट गया और वे भारत
के स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े तथा तन-मन से भारत को
आजाद कराने में लग गए।
महात्मा गाँधी ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति, कुशल नेतृत्व, 'सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह' की नीति के
अधीन जब जिस दिशा में चाहा स्वाधीनता
आंदोलन को मोड़ दिया।
सत्य में गाँधी को अटूट आस्था थी। उनका
विश्वास था कि सत्य की शक्ति का मुकाबला बड़ी से
बड़ी ताकतें नहीं कर सकतीं। अगर उनकी
माँगें जायज हैं तो अँगरेजों को झुकना ही पड़ेगा।
अहिंसा को हथियार बना कर गाँघीजी ने
स्वतंत्रता आंदोलन को हिंसात्मक होने से बचाया। वे
सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा, हड़ताल, शांतिपूर्ण प्रदर्शन
आदि के माध्यम से आंदोलन को आगे बढ़ाना
चाहते थे। उन्होंने भारतीय जनता को
राजनीतिक रूप से प्रशिक्षित किया।
सत्याग्रह के प्रारंभिक प्रयोगों में
गाँधी जी ने चंपारण और खेड़ा में किसानों की दशा में सुधार किया।
इसके बाद यह असहयोग, सविनय अवज्ञा के रूप
में प्रभावकारी होता गया। . »
परम निर्भीकता, उत्कट देश-भक्ति, देश और जनता की सेवा
में अनवरत संलग्नता, उनके प्रति
जनता का अगाध विश्वास, आत्म बलिदान की भावना, जनता की भावनाओं और
रुख को पहचाननेवाली
उनकी दृष्टि, सत्य में अटूट आस्था, राजनीति में धर्म, सत्य, सत्याग्रह और अहिंसा
की नीति का अभिनव
प्रयोग और समावेश आदि महात्मा गाँधी की
वास्तविक शक्तियाँ थीं। इन शक्तियों पर आधारित उनके
असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन
आदि ने अँगरेजों को भारत को
स्वतन्त्र करने के लिए मजबूर कर दिया।
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