नमक विरोध | दांडी यात्रा

 

प्रश्न: विरोध के प्रतीक के रूप मं नमक क्यों किया गया और आन्दोलन पर इसका क्‍या

प्रभाव पड़ा।

» अथवा, गाँधीजी के अनुसार नमक विरोध का प्रतीक क्‍यों था? व्याख्या कीजिए।

» अथवा, नमक कानून स्वतंत्रता संघर्ष का महत्वपूर्ण मुद्दा क्यों बन गया था?

उत्तर : नमक का उपयोग प्रत्येक भारतीय करता था। नमक बनाने के लिए जिन चीजों की

आवश्यकता थी बह भारत को प्राकृतिक रूप से प्राप्त थी। फिर भी राज्य ने नमक बनाने और विक्रय पर

अपना एकाधिकार बनाये रखा। भारतीयों को नमक बनाने से रोका। नमक कानून सबसे घृणित कानून था।

आम भारतीय को दुकानों से ऊँचे दामों पर नमक खरीदना पड़ता था। इसलिए यह अत्यंत अलोकप्रिय

कानून था।

गाँधीजी के अनुसार नमक विरोध का प्रतीक था, क्योंकि -

I) अँग्रेजी सरकार अन्यायपूर्ण तरीके से नमक तैयार करती थी।

(II) सरकार नमक पर कर लगाकर मूल मूल्य से चौदह गुना अधिक कीमत बसूलती थी।

(III) जनता को इसके उत्पादन से रोकतीं थी जबकि जनता बिना किसी विशेष श्रम के नमक बना

सकती थी। ;

(IV) भारत में नमंक प्राकृतिक रूप से उपलब्ध था।

(V) यदि भारतीय नमक बना लेते थे तो उन उत्पादों को सरकार नष्ट कर देती थी

को दण्डित करती थी।

VI. सरकार इस प्रकार न केवल बहुमूल्य राष्ट्रीय संपदा को राष्ट्रीय खर्चे से ही नष्ट कर देती थी,

बल्कि लोगों के मुँह से नमक छीन लेती थी।

(VII) नमक एकाधिकार लोगों को सुलभ ग्राम उद्योग से बंचित करता था तथा प्रकृति द्वारा उत्पादित

संपदा का विनाश करता था।

(VIII) लोगों से. अत्यधिक कर बसूला जाता था।

उपर्युक्त कारणों से नमक कानून स्वतंत्रता संघर्ष का महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया तथा गाँधीजी ने नमक

को विरोध का प्रतीक मानते हुए नमक कानून तोड़ने का फैसला किया।

प्रश्न : दांडी यात्रा की प्रमुख घटनाओं,/कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास में इसका क्या महत्त्व है।

अथवा, संबिनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रमों एवं इसके महत्व का वर्णन करें।

अथवा, गाँधीजी की नमक यात्रा ( डांडी यात्रा ) किन कारणों से महत्त्वपूर्ण है?

अथवा, गाँधीजी के नमक सत्याग्रह का भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर : सबिनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ दांडी यात्रा की ऐतिहासिक घटना से हुआ। इसमें गाँधी

जी और विद्यापीठ तथा साबरमती आश्रम के 78 सदस्यों ने भाग लिया। यह निश्चय किया गया कि वे

लोग समुद्र तट के गाँव दांडी जाकर नमक बनायेंगे और इस प्रकार नमक कानून का उल्लंघन किया

जायेगा। 2 मार्च, 930 ई. को गाँधी जी ने अपने साथियों के साथ साबरमती आश्रम से दांडी के लिए

प्रस्थान किया तथा 200 मील की दूरी 24 दिनों में तय की गयी। जगह-जगह पर हजारों नर-नारियों ने

सत्याग्रही दस्ते की जय-जयकार कर उन्हें प्रोत्साहित किया। दांडी यात्रा के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए

सुभाष चन्द्र बोस ने उसकी तुलना नेपोलियन के पोलिस मार्च और मुसोलिनी के रोम मार्च से की है। 6

अप्रैल को दांडी पहुँचकर गाँधी जी ने नमक बनाकर नमक कानून को भंग किया।

डांडी यात्रा के उद्देश्य : अँगरेजों के कानूनों की अवज्ञा डांडी यात्रा का प्रमुख उद्देश्य था। अवज्ञा के

प्रतीक के रूप में नमक कानून तोड़ कर गाँधी जी ने लोगों को जागरूक किया और उन्हें उत्साह से भर

दिया। दांडी में नमक कानून को भंग करने के शीघ्र ही बाद गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए

निम्नलिखित कार्यक्रम/उद्देश्य देश के समक्ष रखा।

(I) प्रत्येक गाँव में नमक बनायें। ;

(II) महिलाएँ शराब की दुकानो, अफीम के अड्डों और विदेशी बस्तर की दुकानों पर धरना दें।

(III) छात्र शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार करें और सरकारी नौकर अपनी नौकरी से इस्तीफा दें।

(IV) विदेशी बस्त्रों की होली जलायें।

(V) सरकार को कर (95) न दें।

प्रभाव एवं महत्व : गाँधीजी की नमक यात्रा (दांडी यात्रा) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास में

निम्नलिखित कारणों से अति महत्त्वपूर्ण है-

I) यह वह घटना थी जिसके परिणामस्वरूप महात्मा गाँधी को विश्व-प्रसिद्धि प्राप्त हुई। इस यात्रा

को यूरोप और अमेरिका के प्रेसों ने व्यापक कवरेज दिया।

II) दूसरे, यह पहली राष्ट्रीय गतिविधि थी जिसमें औरतों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था।

समाजवादी कार्यकर्ता कमला देवी ने गाँधहनजी को समझाया था कि वे अपने आंदोलन को पुरुषों तक ही

सीमित न रखें। कमला देवी स्वयं उन असंख्य औरतों में से एक थीं जिन्होंने नमक या शराब कानूनों का

उल्लंघन करते हुए सामूहिक गिरफ्तारी दी थी।

III) तीसरा और संभवत: सबसे महत्त्वपूर्ण कारण यह था कि नमक यात्रा के कारण ही अँग्रेजों को

यह अनुभव हुआ कि अब उनका राज बहुत दिनों तक नहीं टिक सकेगा और उन्हें भारतीयों को भी सत्ता

में हिस्सा देना पड़ेगा।

IV) गाँधीजी के नमक सत्याग्रह ने स्वतन्त्रता आन्दोलन को एक नयी गति दे दी। नमक कानून से

देश की गरीब जनता ज़स्त थी। गाँधी जी के इस आन्दोलन ने समाज के सभी वर्ग-शहरी-ग्रामीण,

गरीब-अमीर, महिलाओं , पुरुष एवं छात्रों को अँगरेजों के विरुद्ध आंदोलित कर दिया।

V) नमक क्योंकि जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है अतः समाज के सभी लोगों पर इसका

असर हुआ और यह आन्दोलन देशव्यापी हो गया।

प्रश्न : डांडी यात्रा कब और किस स्थान से कहाँ तक की गयी थी? इस यात्रा के साथ ही गाँधीजी ने

किस आंदोलन की शुरुआत की?

उत्तर : डांडी यात्रा 2 मार्च, 1930 ई. को, गाँधी जी के द्वारा अपने 78 साथियों के साथ

गुजरात के साबरमती आश्रम से दांडी तक को गयी। डांडी यात्रा के द्वारा गाँधीजी ने 'सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। यह 1930 से 1934 ई. तक चला।

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