असहयोग आन्दोलन
प्रश्न : असहयोग आन्दोलन के बारे में कया
जानते हैं? वर्णन करें। 3
अथवा, असहयोग आंदोलन के
उद्देश्य बताइए। गाँधीजी को असहयोग आन्दोलन को क्यों
स्थगित करना पड़ा।
अथवा, असहयोग आंदोलन कब शुरू
हुआ? इसके क्या लक्ष्य और कार्यक्रम थे? इस आंदोलन का
अन्त कैसे हुआ?
अथवा, असहयोग आंदोलन के
स्वरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर : प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति
पर भारतीयों के हितों की रक्षा न करना, रॉलेट एक्ट,
जलियाँवाला बाग हत्याकांड आदि के
प्रतिरोध के लिए गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन का फैसला
किया। कांग्रेस द्वारा स्वराज्य कौ
प्राप्ति का प्रस्ताव भी इसका प्रमुख कारण था। अंग्रेजों की नीति के विरोध
में गांधीजी ने अगस्त 1920 ई. को असहयोग आन्दोलन
प्रारंभ करने की घोषणा की। 1920 ई. के
कलकत्ता के विशेष अधिवेशन तथा नागपुर
अधिवेशन में गांधी जी की घोषणा का समर्थन किया गया।
असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम :
(1) उपाधियों और अवेतनिक
पदों का बहिष्कार।
(2) सरकारी सभाओं का बहिष्कार।
(3) स्वदेशी का प्रयोग।
(4) सरकारी स्कूलों व कॉलेजों का परित्याग।
(5) वकीलों द्वारा सरकारी न्यायालय का
परित्याग।
(6) राष्ट्रीय न्यायालयों की स्थापना।
, (7) हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल।
(8) अस्पृश्यता की संमाप्ति।
आंदोलन का प्रारंभ, गांधीजी तथा अन्य
व्यक्तियों द्वारा उपाधियों के परित्याग से हुआ। कांग्रेस ने
विधान मंडल के चुनावों का बहिष्कार
किया। काशी विद्यापीठ, बिहार विद्यापीठ, जामिया मिल्लिया
इस्लामिया, गुजरात विद्यापीठ
जैसे विद्यालयों की स्थापना हुई। जगह-जगह पर विदेशी वस्रों की होली
जलाई गयी। चरखे का प्रचलन बढ़ा, लोग स्वदेशी अपनाने
लगे। 'तिलक स्वराज फंड' को स्थापना हुई
और देखते-देखते 1 करोड़ रुपये जमा हो गए। स्वशासन के स्थान पर स्वराज को अंतिम लक्ष्य
घोषित
किया गया।
आंदोलन के दौरान हिन्दू मुस्लिम एकता का
भी प्रस्फुटन हुआ। लेकिन मालाबार में खिलाफत
आंदोलन की तीब्रता ने मुसलमानों को
हिंदुओं के विरोध में खड़ा कर दिया। भारतीय इतिहास में इसे मोपला
विद्रोह के नाम से जाना गया। मूलतः यह
विद्रोह मुस्लिम किसानों के द्वारा हिंदू-जमींदारों के खिलाफ था।
सरकार ने आंदोलन को सख्ती से दबाया। .
असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला :
असहयोग आंदोलन का प्रारंभ शहरी शिक्षित
एवं मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी से हुआ
जहाँ इसका स्वरूप नियंत्रित एवं अहिंसक था। जैसे-जैसे यह
आंदोलन देश के भीतरी अथवा ग्रामीण
इलाकों में फैला इसका स्वरूप अनियंत्रित एवं हिंसक होता गया।
स्वराज के प्रति अति उत्साह ने
शांतिपूर्ण असहयोग को हिंसक टकराव में बदल दिया।
इसी बीच 5 फरवरी 1920 ई. को उत्तर प्रदेश
के चोरी-चौरा नामक आंदोलनकारियों
एक थाने में 21 सिपाहियों एवं थानेदार को जीवित जला
दिया। गांधीजी आंदोलन हिसााक होते
देखकर इसे स्थगित करने की घोषणा कर दी।
नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस, लाला लाजपत राय, शौकत अली
जिन्ना आदि गांधी जी की घोषणा से
हत्तप्रभ रह गए। मोतीलाल नेहरू तथा चितरंजन दास ने स्वराज पार्टी
का गठन किया। गांधी जी गिरफ्तार कर लिए
गए।
आंदोलन प्रारंभ करने के गांधीजी के
दोनों उद्देश्य अहिंसा को भावना जागृत करना तथा हिन्दू मुस्लिम एकता स्थापित करना पूर्ण
नहीं हो सके तथा धीरे- धीरे आंदोलन स्वतः समाप्त हो गया।
प्रश्न : असहयोग आन्दोलन क्यों स्थगित
करना पड़ा?
उत्तर : असहयोग आन्दोलन-के दौरान अति
उत्साह ने शांतिपूर्ण असहयोग को हिंसक टकराव में
बदल दिया। चौरी-चौरा में उग्र भीड़ ने
थाने में आग लगा दी, जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों की मौत हो
गयी। आंदोलन को हिंसा का मार्ग पकड़ते
देख गाँधी जी ने इसे स्थगित कर दिया।
प्रएन : “असहयोग आन्दोलन एक
प्रकार का प्रतिरोध था '' स्पष्ट करें।
» अथवा, असहयोग आन्दोलन की
घटनाओं एवं कार्यक्रमों का वर्णन करें ।
उत्तर : (I) खिलाफत समिति एवं कांग्रेस का समर्थन
प्राप्त करने के पश्चात् गाँधी जी ने समस्त देश का दौरा किया और
अस॒हयोग आन्दोलन में भाग लेने ओर उसे सफल बनाने के लिए जनता को प्रोत्साहित किया। इस समय तक एक असहयोग कार्यक्रम निश्चित हो गया था।
(II) इसके अनुसार भारतीयों के सहयोग के
कारण ही अँगरेज भारत पर शासन करने में सफल रहे
हैं। यदि भारतीय अपना हाथ खींच लें तो
मुट्ठी भर अँगरेज इस देश का शासन कभी नहीं चला सकते।
(॥I) इसलिए गाँधी जी ने संम्पूर्ण सरकारी
तंत्र तथा उसकी सहायक संस्थाओं का बहिष्कार करने का
आह्वान किया।
(IV) सरकारी स्कूल एवं कॉलेज, कचहरियाँ, विदेशी सामान एवं
कपड़े, सरकारी पदवियों, सरकारी
विधानसभाएँ एवं संस्थाएँ, सरकारी आयोजन एवं
उत्सव का बहिष्कार आदि असहयोग आन्दोलन के
कार्यक्रम घोषित किये गये।
(V) सरकारी स्कूल-कॉलेजों के स्थान पर 5 कक. संस्थाओं की
स्थापना, सरकारी कचहरियों
के स्थान पर ग्राम पंचायत की स्थापना, विदेशी वस्तुओं के
स्थान पर स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग एवं खादी का व्यवहार असहयोग
आन्दोलन का रचनात्मक कार्यक्रम था।
(VI) इस प्रकार, असहयोग आन्दोलन
प्रत्येक दृष्टि में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारतीयों का एक त्रिव प्रतिरोध था। यह प्रतिरोध हर क्षेत्र
में और हर वर्ग में दिखलायी पड़ा।
प्रश्न: असहयोग आंदोलन की घटनाओं और इसके
प्रभावों का उल्लेख करें।
उत्तर : असहयोग आंदोलन का प्रारंभ शहरी
मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी से प्रारंभ हुआ। विद्यार्थियों ने
स्कूल-कॉलेज छोड़ दिये, शिक्षकों ने
त्यागपत्र दे दिया, वकीलों ने मुकदमे लड़ने बंद कंर दिये
तथा मद्रास
के अतिरिक्त प्राय: सभी प्रांतों में
परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया। ।
आर्थिक क्षेत्र में आंदोलन अधिक प्रखर
रहा। विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया, शराब की
दुकानों की पिकेटिंग की गयी तथा विदेशी
कपड़ों की होली जलायी गयी। व्यापारियों ने विदेशी व्यापार में
पैसा लगाने से इन्कार कर दिया। देश में
खादी का प्रचलन और उत्पादन बढ़ा।
धीरे-धीरे आंदोलन ग्रामीण इलाकों में
पहुँचा, जहाँ किसानों और आदिवासियों ने सक्रियतापूर्वक
आंदोलन में भाग लिया। जमींदारों को
नाई-धोबी की सुविधाओं से वंचित करने के लिए पंचायतों ने
पनाई-धोबी बंद' का फैसला कियां।
तालुकदारों तथा व्यापारियों के मकानों पर हमले होने लगे, बाजारों में
लूटपाट होने लगी तथा अनाजों के गोदामों
पर कब्जा कर लिया गया। अवध को 'किसान सभा इस आंदोलन में काफी सक्रिय रही।
आंध्रप्रदेश में गुडेम पहाड़ियों में
आदिवासी किसानों ने असहयोग आंदोलन को गुरिल्ला युद्ध में
: बदल दिया। उन्होंने पुलिस थानों पर हमले किये तथा ब्रिटिश अधिकारियों
को मारने की कोशिश की।
आंदोलन का नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू
ने किया।
असहयोग आंदोलन के प्रभाव :
(I) आंदोलन ने राष्ट्रीय भावना का संचार किया, सरकार के प्रति विरोध
का वातावरण बनाया तथा
अन्याय के विरुद्ध संघर्ष का रास्ता
दिखाया। (॥) लोगों ने विदेशी वस्तुओं का परित्याग किया तथा
स्वदेशी अपनाने लगे। ॥I) राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओं
का दौर प्रारंभ हुआ। (IV) कांग्रेस ने भी
अपनी
नीतियों व कार्यक्रमों में परिवर्तन
किए। (V) हिंदी को राष्ट्रभाषा का महत्त्व दिया
गया तथा अंग्रेजी के
प्रयोग में कमी आई। (VI) खादी का प्रचलन प्रारंभ हुआ। चरखा, स्वतंत्रता आंदोलन के
साथ जुड़
गया। (VII) कांग्रेस जनसाधारण तक
पहुंची। (VIII) आंदोलन की असफलता
ने कांतिकारी
गतिविधियों को प्रेरणा दी।
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