कैबिनेट मिशन
प्रश्न : 'कैबिनेट मिशन' पर टिप्पणी लिखें।
अथवा, कैबिनेट मिशन भारत
क्यों भेजा गया था? इसने क्या सुझाव दिये?
अथवा, कैबिनेट मिशन की प्रमुख
विशेषताओं पर प्रकाश डालें।
उत्तर : 15 मार्च 1946 ई. को ब्रिटिश
प्रधानमंत्री लार्ड एटली ने भारतीयों के द्वारा संविधान के
निर्माण को स्वीकार कर लिया। अगले दौर
की वार्ता के लिए ब्रिटिश कैबिनेट के तीन सदस्यों को
“कैबिनेट मिशन” के अन्तर्गत भारत भेजा गया। इस कैबिनेट
मिशन ने 3 महीने तक भारत का दौरा किया
तथा एक ढीले-ढीले त्रिस्तरीय महासंघ का
सुझाव दिया।
(I) एक कमजोर केन्द्र के साथ एकीकृत भारत का प्रस्ताव दिया। इसमें
केन्द्र के पास सिर्फ तीन
जिम्मेदारियाँ होतीं - विदेश, रक्षा और संचार। शेष
शक्तियों को राज्यों के पास रहने की व्यवस्था की गई।
(II) संविधान सभा का चुनाव करते हुए मौजूदा प्रांतीय सभाओं को 3 हिस्सों में समूहबद्ध
करना था।
(a) हिन्दू बहुल प्रांतों का समूह 'क' (b) मुस्लिम बहुत प्रांतों का समूह 'ख' (c) पूर्वोत्तर के मुस्लिम
बहुत प्रांतों का समूह 'ग॑ं। .
iii.प्रांतों ने इन खंडों या समूहों को मिलाकर क्षेत्रीय इकाइयों का गठन
किया जाना था। प्रांतों में
अलग-अलग कार्यपालिका और विधानसभा की
योजना बनाई गई।
(iv) माध्यमिक स्तर की कार्यकारी और विधायी शक्तियाँ उनके पास ही रहने
वाली थीं।
(v) योजना में एक संविधान सभा के निर्माण का भी प्रस्ताव रखा गया। इस
संविधान सभा में राज्यों
की जनसंख्या के अनुपात में सांप्रदायिक
आधार पर प्रतिनिधियों को शामिल करने की योजना बनाई गई।
(vi) एक अंतरिम सरकार के गठन का भी प्रस्ताव रखा गया। मिशन ने स्पष्ट कर
दिया जब तक
संविधान सभा अपना कार्य पूर्ण नहीं कर
लेती है तथा जब तक भारत में स्वतंत्र सरकार की स्थापना नहीं
हो जाती है, भारत से ब्रिटिश
सेनाएँ नहीं हटायीं जाएँगी।
प्रश्न : काँग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों
ने कैबिनेट मिशन की सिफारिशों को क्यों ठुकरा दिया?
उत्तर : कैबिनेट मिशन ने अपनी सिफारिशें
काँग्रेस और मुस्लिम लीग की माँगों को ध्यान में रखते
हुए की थी। प्रारंभ में उपर्युक्त
सुझावों को लगभग सभी दलों ने स्वीकार कर लिया परंतु शीघ्र ही योजना
की व्याख्या के विषय में निम्नलिखित
मतभेद पैदा हो गये।
(क) मुस्लिम लीग की माँग थी कि यह समूहबद्धता अनिवार्य हो जिसमें समूह
'ख' और 'ग' के पास
भविष्य में संघ से अलग होने का अधिकार
होना चाहिए।
(ख) कांग्रेस चाहती थी कि प्रांतों को अपनी इच्छा का समूह चुनने का
अधिकार मिलना चाहिए।
कांग्रेस केबिनेट मिशन के इस स्पष्टीकरण
से सन्तुष्ट नहीं थी कि आरम्भ में यह समूहबद्धता अनिवार्य होगी
परंतु एक बार संविधान बनने के पश्चात्
उनके पास समूहों से निकलने का अधिकार होगा और बदली हुई
परिस्थितियों में नये चुनाव कराये
जाएँगें।
उपर्युक्त मतभेदों के कारण मिशन के
सुझावों को कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने अस्वीकार कर
दिया।
कैबिनेट मिशन के सुझाव से भारत के राज्य
शासन-विधि पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण करें।
अथवा, “कैबिनेट मिशन' के प्रस्तावों के
प्रभाव की आलोचनात्मक समीक्षा करें।
उत्तर : (i) मंत्रिमंडल मिशन योजना के प्रति भारत में मिश्रित प्रतिक्रिया हुई।
(ii) वामपंथी काँग्रेसी, कंग्रेस सोशलिस्ट और साम्यवादी इस योजना
के विरुद्ध थे।
(iii) काँग्रेस ने 14 जन, 1946 ई. को दीर्घकालीन प्रस्तावों को स्वीकार
कर संविधान सभा में भाग
लेने का निर्णय किया। उसने अल्पकालीन
प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया ओर अन्तरिम सरकार में भाग
नहीं लेने का निर्णय किया। वह किसी
राष्ट्रीय मुसलमान को सरकार में स्थान देते के लिए कटिबद्ध थी।
(iv) चूँकि काँग्रेस ने अन्तरिम सरकार की योजना को अस्वीकार कर दिया था, अतः लीग ने दावा
किया कि कांग्रेस को छोड़कर सरकार बनायी
जाय और वह नेतृत्व करने के लिए तैयार है।
(v) लेकिन वायसराय ने देश की सबसे बड़ी पार्टी (काँग्रेस) को अलग रखकर
अन्तरिम सरकार
बनाने से इन्कार कर दिया।
(vi) इस पर मुस्लिम लीग ने 27 जुलाई, 946 ई. को बम्बई में प्रस्ताव पास करके मिशन
की
योजना अस्वीकृत कर दी।
प्रश्न : 'कैबिनेट मिशन' पर टिप्पणी लिखें।
अथवा, कैबिनेट मिशन भारत क्यों भेजा गया था? इसने क्या सुझाव दिये?
अथवा, कैबिनेट मिशन की प्रमुख विशेषताओं पर
प्रकाश डालें।
उत्तर : 15 मार्च 1946 ई. को ब्रिटिश
प्रधानमंत्री लार्ड एटली ने भारतीयों के द्वारा संविधान के
निर्माण को स्वीकार कर लिया। अगले दौर
की वार्ता के लिए ब्रिटिश कैबिनेट के तीन सदस्यों को
“कैबिनेट मिशन” के अन्तर्गत भारत भेजा गया। इस कैबिनेट
मिशन ने 3 महीने तक भारत का दौरा किया
तथा एक ढीले-ढीले त्रिस्तरीय महासंघ का
सुझाव दिया।
(I) एक कमजोर केन्द्र के साथ एकीकृत भारत का प्रस्ताव दिया। इसमें
केन्द्र के पास सिर्फ तीन
जिम्मेदारियाँ होतीं - विदेश, रक्षा और संचार। शेष
शक्तियों को राज्यों के पास रहने की व्यवस्था की गई।
(II) संविधान सभा का चुनाव करते हुए मौजूदा प्रांतीय सभाओं को 3 हिस्सों में समूहबद्ध
करना था।
(a) हिन्दू बहुल प्रांतों का समूह 'क' (b) मुस्लिम बहुत प्रांतों का समूह 'ख' (c) पूर्वोत्तर के मुस्लिम
बहुत प्रांतों का समूह 'ग॑ं। .
iii.प्रांतों ने इन खंडों या समूहों को मिलाकर क्षेत्रीय इकाइयों का गठन
किया जाना था। प्रांतों में
अलग-अलग कार्यपालिका और विधानसभा की
योजना बनाई गई।
(iv) माध्यमिक स्तर की कार्यकारी और विधायी शक्तियाँ उनके पास ही रहने
वाली थीं।
(v) योजना में एक संविधान सभा के निर्माण का भी प्रस्ताव रखा गया। इस
संविधान सभा में राज्यों
की जनसंख्या के अनुपात में सांप्रदायिक
आधार पर प्रतिनिधियों को शामिल करने की योजना बनाई गई।
(vi) एक अंतरिम सरकार के गठन का भी प्रस्ताव रखा गया। मिशन ने स्पष्ट कर
दिया जब तक
संविधान सभा अपना कार्य पूर्ण नहीं कर
लेती है तथा जब तक भारत में स्वतंत्र सरकार की स्थापना नहीं
हो जाती है, भारत से ब्रिटिश
सेनाएँ नहीं हटायीं जाएँगी।
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