कम्युनल अवार्ड

 

प्रश्न : कम्युनल अवार्ड क्या था?    

उत्तर : द्वितीय गोलमेज सम्मेलन परिषद्‌ (1930 ई.) साम्प्रदायिकता की समस्या का कोई हल

निकालने में असमर्थ रही थी। ऐसी परिस्थिति में ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपनी पहल पर 6 अगस्त,

1932 ई. को एक अवार्ड की घोषणा की। यद्यपि इसे अवार्ड अर्थात्‌ निर्णय कहा गया है। तथापि यह

एकतरफा घोषणा थी और उसे बलात्‌ भारतीयों पर थोप दिया गया था।

इस घोषणा की निम्नलिखित प्रमुख बातें थीं-प्रांतीय व्यवस्थापिका सभा की सदस्य संख्या दो गुनी

कर दी जायेगी। अल्पसंख्यकों के लिए निर्वाचन की पृथक से व्यवस्था होगी। अल्पसंख्यक वर्गों से

अभिप्राय भारत के मुसलमानों, सिक्खों और ईसाइयों से है। अछूत हिन्दुओं से अलग वर्ग हैं। अत: उनके लिए भी पृथक से निर्वाचन की व्यवस्था होगी और उन्हें पृथक प्रतिनिधित्व का अधिकार भी प्रदान किया

जायेगा। प्रांतीय व्यवस्थापिका सभा में स्त्रियों के लिए भी तीन प्रतिशत स्थान आरक्षित रहेगा। श्रम,

व्यवसाय एवं उद्योगों से सम्बद्ध संगठनों को व्यवस्थापिका सभा में विशेष स्थान दिये जायेंगे।

भू-स्वामियों के लिए भी प्रांतीय व्यवस्थापिकाओं में स्थान आरक्षित रहेंगे उनके लिए पृथक निर्वाचन

क्षेत्रों की व्यवस्था की जायेगी। विभिनन प्रांतों में प्रतिनिधित्व के सम्बन्ध में अधिभार की

व्यवस्था होगी लेकिन उसे विशेष रीति से लागू किया जायेगा।

Comments

Popular posts from this blog

छठी शताब्दी ई.पू. में हुए धर्म सुधार आन्दोलन के कारणों

महान' और लघु' परम्परा

1857 ई. के विद्रोह की प्रमुख घटनाओं