गोलमेज सम्मेलन
प्रश्न : गोलमेज सम्मेलन क्यों बुलाये गये
? ये क्यों विफल हो गये ?
उत्तर : जिस रामय भारत में सविनय अवज्ञा
आन्दोलन जोर पकड़ रहा था उस समय भारत में
भॉंघीजी के आदर्शों क विपरीत
सम्प्रदायवादी तथा संकीर्ण विचारों के नेताओं के गम्भीर विरोध उभरे। इस
राजगैतिक गतिशेंध को समाप्त करने एवं
भारत के भविष्य पर विचार करने के उद्देश्य से ब्रिटिश सरकार
न भारत एवं इंगलैंड के राजनीतिज्ञों का
गोलमेज सम्मेलन लंदन में बुलाया।
प्रथम गोलमेज सम्मेलन 2 नवम्बर, 930 ई. को हुआ। लेकिन
कांग्रेस ने इसमें भाग नहीं लिया,
क्योकि गांधीजी जेल में थे।
इसलिए यह गोलमेज सम्मेलन भी राफल नहीं रहा
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन सितम्बर 1931 ई. को प्रारंभ हुआ।
गाँधीजी ने कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के जल में
इस सम्मेलन में भाग लिया। इस वार्ता में भी साम्प्रदायिकता के प्रश्न पर ब्रिटिश सरकार से गाँधीजी का मतभेद हो गया। अल्पसंख्यकों तथा अनुसूचित
जातियों के प्रतिनिधियों ने पृथक निर्वाचन तथा पृथक
प्रतिनिधित्व की माँग की। उनके अनुसार कांग्रेस इन समूहों का नेतृत्व नहीं करती
है।महात्मा गाँधी ने सम्मेलन में दलितों के पृथक निर्वाचिका की माँग का विरोध
किया।
गॉधीजी ने मुस्लिम लीग के नेताओं से
वार्ता की क़िन्तु जिन््ना अपनी चौदह सूत्री माँगों पर अड़े रहे।
मुस्लिम लीग के अतिरिक्त हरिजन, हिन्दू महासभा, सिक््ख आदि सभी
राष्ट्रीय हितों की उपेक्षा कर
साम्प्रदायिक हितों पर ज्यादा जोर दे रहे
थे। ब्रिटिश सरकार चाहती थी कि भारतीय साम्प्रदायिकता में ही
इतना उलझे रहे कि उन्हें शासन करने में
आसानी हो।
इन गतिरोधों के फलस्वरूप गोलमेंज
सम्मेलन असफल हो गया और गाँधीजी स्वदेश लौट आये।
इसकी असफलता का प्रमुख कारण ब्रिटिश
सरकार का विरोधी रुख था। वह भारत की समस्या का हल
निकालने के लिए जरा भी उत्सुक नहीं थी।
इस सम्मेलन में गाँधीजी ने साम्प्रदायिक एकता के लिए अनेक
प्रयास किये, लेकिन अँगरेजों की
साम्प्रदायिकता बढ़ाने की चालों के आगे उन्हें सफलता न मिल सकी।
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